SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रीस्था नाङ्गसूत्र सानुवाद ॥ ४०५ ।। www.kobatirth.org स्वरूपनुं निरूपण करवा माटे सत्तर चौभंगी सूत्रो कहे छे T चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० - अप्पणो नाममेगे अलमंथू भवति णो परस्स, परस्त नाममेगे अलमंथू भवति णो अप्पणो, एगे अप्पणोवि अलमंथू भवति परस्सवि, एगे नो अप्पणो अलमंथू भवति णो परस्स (१), चत्तारि मग्गा पं० तंत्र-उज्जू नाममेगे उज्जू, उज्जू नाममेगे बँके, के नाममेगे उज्जू, वंके नाममेगे वंके (२), एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-उज्जू नाममेगे उज्जू ४ (३), चत्तारि मग्गा पं० तं० - खेमे नाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे हृ ४ (४), एवमेव पुरिसजाता पं० तं०- खेमे णाममेगे खेमे ह्न ४ (५), चत्तारि मग्गा पं० तं०- खेमे णाममेगे खेमरुवे, खे णाममेगे अखेमरूवे ४ (६), एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०- खेमे नाममेगे खेमरूवे ४ (७), चत्तारि संबुक्का पं० तं० - वामे नाममेगे वामावत्ते, वामे नाममेगे दाहिणावत्ते, दाहिणे नाममेगे वामावन्ते, दाहिणे नाममेगे दाहिणावत्ते ८ । एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० - वामे नाममेगे वामावते हृ ४ (९), चत्तारि धूमसिहाओ पं० तं०-वामा नाममेगा वामावत्ता ४ (१०), एवामेव चत्तारित्थीओ पं० तं०-वामा णाममेगा वामावत्ता ४ (११), चत्तारि अग्गिसिहाओ पं० तं०-वामा णाममेगा वामा For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ****** ४ स्थान काध्ययने उद्देशः २ पुरुषाणा मलमस्त्वा दिचतुभंगीः सू० २८९ ।।। ४०५ ।।
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy