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१. कोई पुरुष द्रव्यथी-शरीरथी ऊंचो पण भावथी नचिो २, कोई पुरुष द्रव्यथी नीचो पण भावथी ऊंचो ३, कोई एक पुरुष द्रव्यथी पण नीचो अने भावथी पण नीचो ४ (२), चार प्रकारना वृक्षो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोई एक वृक्ष द्रव्यथीशरीरथी उन्नत अने भावथी उन्नत परिणत-शुभ रसादिरूप श्रेष्ठतावडे परिणत छे १, कोई एक वृक्ष शरीरथी ऊंचो छ पण अशुभ रसादिवडे परिणत छ २, कोई एक वृक्ष शरीरथी नीचो छ पण शुभ रसादिवडे परिणत छे ३, कोई एक वृक्ष शरीरथी नीचो छे अने अशुभ रसादिवडे परिणत छे ४ (३), ए प्रमाणे चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोई एक पुरुष जात्यादिवडे अथवा शरीरवडे उन्नत छे अने शुभ परिणामवडे पण उन्नत छे १, कोई एक पुरुष शरीरादिवडे ऊंचो छे पण परिणामवडे नीचो छ २, कोई एक पुरुष शरीरादिवडे नीचो छ पण परिणामवडे ऊंचो छे ३, कोई एक पुरुष शरीरवडे नाचो अने परिणामवडे पण नीचो छे ४ (४), चार प्रकारे वृक्षो कह्या छे, ते आ प्रमाणे-कोईक वृक्ष शरीरथी ऊंचो छे अने भावथी शुभ आकारवाळो छ १, कोईक वृक्ष शरीरथी ऊंचो छ पण रूप-आकारथी कुरूप छे २, कोईक वृक्ष शरीरथी नीच (नानो) छे पण आकारथी सुंदर छ ३, कोईक वृक्ष शरीरथी नीचो अने आकारथी कुरूप छे ४, आ चार भंग जाणवा (५), ए न्याये चार प्रकारना पुरुषो कह्या छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक जाति विगेरेथी ऊंचा अने सुंदर आकारवाळा, २ कोईक जाति विगेरेथी ऊंचा पण खराब आकारवाळा, ३ कोईक जाति विगरेथी नीचा पण सुंदर आकारवाळा, ४ कोईक जाति विगैरेथी नीच अने खराब आकारवाळा छ (६), चार प्रकारना पुरुषो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-कोईक पुरुष शरीर विगेरेथी उन्नत-ऊंचा छे अने औदार्य आदि गुणथी ऊंचा मनवाळो छ १, कोई एक शरीरादिथी ऊंचो छ पण हलका मनवाळो छे २, कोई
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