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शत्रुजय नाम धरावे,
सनेही०६ प्रणिधाने भजो गिरि साचो, तीर्थंकर नाम निकाचो; मोहरायने लागे तमाचो, शुभ वीर विमलगिरि जाओ,
सनेही०७ २७. विमलाचल गिरि भेटो... विमलाचल गिरि भेटो भवियण भावशू, जेथी भवोभव पातक दुर पलाय जो; । निकाचित बांध्या जे कर्म ज आकरां, गिरि भेटता क्षणमा सवि क्षय थाय जो. विमला०१ साधु अनंता ईण गिरि पर सिद्धि वर्या, राम भरत त्रण कोडी मुनि परिवार जो; पांचसे साथे शीलंगे शिवपद लीधुं, पांडव पांचे पाम्या भवनो पार जो. विमला० २ नमि विनमि आदि बहु विद्याधरा, वली थावच्चा अईधुत्ता अणगार जो; शुकराज वली सुख ते गिरि पर पामीया, बाह्य अभ्यंतर शत्रु कीधा छार जो. विमला०३ युगला धर्म निवारण ईण गिरि आवीया, ऋषभ जिणंदजी पुरव नव्वाणुं वार जो; कांकरे कांकरे साधु अनंता सिद्धिया, माटे निशदिन सिद्धाचल मन धारजो. विमला०४ गिरि पागे चढता तन मन उल्लसे,
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