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जे नर भावे यात्रा नव्वाणुं करशे सूरजकुंटमा जे न्हाशे, तेनो पातिक भूक्को थाशे वरशे मुक्ति माल... फागण केरी फेरी फरवा आवे फेरा चोराशी मीटावे, पूनमनो महिमा जगावे चक्केश्वरी सुखकार... सूरजकुंडनी शोभा लागे न्यारी नवढेको मन गमनारी, दादा पर जाउं वारी उपन्यो हरख अपार ...
१८. आq रूडु रे मजार्नु तीरथ नही रे (राग - आवो रूडो रे मजानो अवसर नहि रे) आq रूडु रे मजानुं तीरथ नही रे मले, गिरवरमां गिरिराज, वंदन करीए रे आज... भवोभवना पुण्यनो संचय थाये, गिरिवर दरिसन त्यारे थाये, मानव जन्म मारो धन्य दिन मारो... ए गिरिराजनो हुँ छु प्रवासी, तारा जेवा बनवानो हुं अभिलाषी, तारो साथ मांगु, तारो हाथ चाहुं... पशु पंखी इण गिरि यात्राए आवे, भव त्रीजे ते परमपद पावे, महिमा अपरंपार, तारा गुणो अपार... मरूदेवीनंदन ऋषभ बिराजे, गिरिवरनो महिमा जगमा गाजे, आq तीर्थ न मले, जगमा जोड़ न जडे... ए गिरिवरनी छायामां वसीये,
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