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तप जप ध्यानथी कायाने कसीये, कर्मने दूर करो, मुक्ति वहेली वरो...
१९. आ दुनियामां तरवा माटे सिद्धाचल (राग - दीन दुःखीयानो तुं छे बेली) आ दुनियामां तरवा माटे सिद्धाचल छे धाम, जेनो महिमा अपरंपार (२)
देवो पण यात्राए आवे, जीवननैया पार लगावे, जे आरती गिरिनी करता, ए अरति कदी न पावे, अनंत सिध्या ए गिरिधामे, वंदन वारंवार ... वीर जिनेश्वर गिरिपर आया, देवोए गढ त्रण रचाया, दर्शन पूजन वंदन करो ए, गिरिना गुणला गाया, इन्द्रो पण गुण गातां गातां धरता हर्ष अपार ... वीस कोडिशुं पांडव मुक्ति दिलमां धरतां तीरथ भक्ति, पंचक्रोडशुं पुंडरिक आव्या कर्म खपावी पाम्या मुक्ति, अचिंत्य महिमा ए गिरिवरनो सुणतां भवनो पार ...
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२०. रंगाइ जाने रंगमां...
(राग - रंगाइ जाने रंगमां)
रंगाइ जाने रंगमां...तुं रंगाइ जाने रंगमां श्री सिद्धाचलना संगमां, प्रभु आदिनाथना रंगमां, अमने प्यारूं, तमने प्यारुं, सहुने मन गमनाएं (२) सर्व तीरथमां महिमावंतु जगमां तीरथ न्यारूं (२) शाश्वत गिरिवर भेटीये रे, उमंग आणी मनमां...
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