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मनमा रहेजो ऋषभर्नु ध्यान, प्रभुजी एवं मागुं छु. ज्यां ज्यां नयना मारी फरती रहे, त्यां त्यां ऋषभना दरिशन करती रहे, तारा चरणोमां करवो आवास... कर्म तोडवा सुंदर साधन मल्युं पुण्य भरवा सिद्धाचल धाम मल्यु, रहेजो ऋषभना चरणे प्राण... पुण्यकारक गिरिवर शोभी रह्यो, पाप हारक डुंगर डोली रह्यो, नयने रहेजो ऋषभनी छाप... ए गिरिराजने टगमग जोया करूं, मारा भवोभवना पापने धोया करूं, तरवो संसार सागर अगाध...
१७. सिद्धाचलनो महिमा कोने (राग - वीरकुंवरनी वातलडी कोने कहीए रे) सिद्धाचलनो महिमा कोने कहीये रे(३) गिरिभेटी पावन थइए हारे लहीए अवचिल धाम... आगममांहे महिमा जेनो भाख्यो शे@जय कल्पे दाख्यो, मन मोरलो सुणतां नाच्यो शाश्वत ए गिरिराज... वीस कोडिशुं पांडव मुक्ति पाया पुंडरिक गणधर पण आया, पुंडरिक गिरि नाम धराया पांच करोड परिवार... गिरिवर चढतां आनंद मारो वधतो ऋषभना गीतो गातो, दर्शन करता हरखातो धन्य मारो अवतार...
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