________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
केम करी गाउं प्रभु तारा गुणगान? गजु नथी मारूं एवं कहे आ जबान... हो..फूलडाना बगीचामां खीले घणा फूलो, सुंघवा आवेलो पेलो भ्रमर पडे भूलो, एम तारी सुरभि भूलावे मने भान... हो.. अंबरमां चमके छे असंख्य सितारा, पार कदी पामे नहीं एने गणनारा, गुण तारा झाझाने थोडं मारूं ज्ञान... हो.. वणथंभ्या मोजा आवे सागर किनारे, जोता जोता मनडुं धराय ना लगीरे, एक थकी एक तारा उंचा परिणाम... हो. उंचा पहाडमांथी वहे मीटुं झरj, तरस्यानी तृषाने शांति ए आपतुं, अमीभरी वाणीना कराव्या छे पान... हो.. अज्ञानी भक्तो प्रभु तारा गुण गावे, तारा प्रदेशने जोवाने चाहे, देजो प्रभु भक्तोने मुक्तिना धाम...
११. पाप मारा त्यां बधा धोवाय
(राग - आंखडी मारी प्रभु हरखाय छे) पाप मारा त्यां बधा धोवाय छे, ज्यां मने ऋषभना दरिशन थाय छे.. मुक्तिनो मारग मने जडतो नथी,
१११
For Private and Personal Use Only