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रूडा हे नाथ तारी करूं आज यारी, शिवपुरना वासी मने याद करो रे... तारे ने मारे नाथ अंतर जाजेरूं, आवो अंतर तो मारा पापो विखेळं, पाप विखेरी दिल आवी मलो रे... तारो विरह मारा दिलडामा डंखतो, तेथी तमाळं दर्श दिलथी हुं झंखतो, मोघेरी झंखनाने पूर्ण करो रे... मंथन स्वरूप तारा यात्राना दावथी, टलशे वियोग तारो मारा सद्भावथी, मलवा एकांत मन मारूं भरो रे...
९. वरसे भले वादलीने वायु भले... वरसे भले वादलीने वायु भले वाय, दादा तारो दीवडो कदी न बुझाय, एने बुझववा आवे असुरो, ए पण हारीने चाल्या जाय... दरियामां उछले मोजा तोफानी, भलेने झंझावात झींकाय.. आवे भले ने राहू ने केतु, एनो प्रभाव पण पाणी थाय.. अलबेला आदिनाथ उपर बिराजे, जात्रा करवा सहु दोडी दोडी जाय... दर्शन करवा सहु दोडी दोडी जाय...
१०. शब्दमां समाय नहि.... शब्दमां समाय नहि एवो तुं महान,
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