________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
थी अतः नवपद आराधक समाज के सुप्रयत्न से यहां धर्मशाला बनवाने का निश्चय किया गया। जामनगर निवासी श्रेष्ठिवर्य श्री चुन्नीलाल जी लखमीचंदजी ने रु. 10000 की लागत से यहां धर्मशाला बनवाई। धर्मशाला
कानाम श्री नवपद - लक्ष्मी निवास धर्मशाला रखा गया । धर्मशाला दो मंजिल पक्की एवं तीसरी मंजिल पर टीन के पतरे लगाकर कुल 21 कमरों की विशाल धर्मशाला यहां आज भी विद्यमान है। यहां तीर्थंयात्री को निशुल्क ठहराया जाता है ।
वर्धमान तप आयम्बिल खाता
विक्रम संवत् 2001 में पूज्य गुरुदेव श्री की प्रेरणा से प्रेरित होकर लुनजी श्री छगनलालजी मारु एवं स्व श्रीमती सुन्दरवाई की पुण्य स्मृति में उनके सुपुत्र श्री बाबूलाल छगनलाल माह इस तीर्थ में 9501 रु.
[21]
For Private and Personal Use Only