________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सिद्धचक्रजी का पट्ट अपने आप में बेनुम है। यहां आने वाले दर्शनार्थियों का कहना है कि भारतभर में ऐसा सुन्दर पट्ट कहीं भी नहीं है । आरस की शिखर वाली देहरी में मन्दिर के मध्य में यह पट्ट एक तीर्थ के रुप में यहाँ सशोभित है। प्रतिवर्ष यहां दोनों ओलीजी की आराधनाएं होती हैं। मालवे के कई गांव के श्रद्धालु यहां ओलीजी करने आते हैं। ___ सामुदायिक ओलीजी का सिलसिला संवत 2000 के साल में पू. मुनि श्री चन्द्रसागर जो म. सा. को प्रेरणा एवं निश्रा में प्रारम्भ हुमा है।
ओलोजो को आराधना भारत वर्ष का ऐतिहासिक रेकार्ड रही है। उस समय आमन्त्रण पत्रिकाएं छपवाकर सम्पूर्ण भारत वर्ष में निमन्त्रण भेजे थे। परिणाम स्वरुप 135 जगह के श्रीसंघों के श्रावक श्राविकाओं ने यहां आकर ओली की सामुहिक आराधना प्रथम बार की थी। समापन पर श्रावको की संख्या अनुमानित सत्तावीश हजार के करीबपी।
विक्रम संवत् 2045 के वैशाखसदी 7 को श्री सिद्धचक्रजी के 50 वर्ष पर सुवर्ण जयन्ति महोत्सव मनाया गया। उस समय पू. आचार्यदेव श्री चन्द्रसागर सूरीश्वर जी म. सा. के कृपापात्र शंखेश्वर आगम मन्दिर संस्थापक पूज्य पन्यास प्रवर श्री अभ्युदयसागर जी म. सा. के लघुगुरुभ्राता मालव भूषण पूज्य पन्यास प्रवर श्री नवरत्नसागरजी म. सा. तथा पूज्य ज्योतिर्विद मुनिराज श्री जिनरत्नसागरजी म.सा. की पावन निश्रा में सिद्धचक्र जी पट्ट के उपर गुमज जैसा शिखर बनवा कर उस पर ध्वज दण्ड प्रतिष्ठा 9001 रु. की बोली बोळकर श्री जेठमलजी केशरिमलजी कराडियावालों ने करवाई है । उस समय पू. नेमिसूरिजी म. सा. के समुदाय के पूज्य पंन्यास श्री कुन्द कुन्द विजयजी म.सा. भी यहां उपस्थित थे। नवपद लक्ष्मी निवास धर्मशाला
विक्रम संवत 1995 में पूज्य मुनिप्रवर श्री चन्द्रसागरजी म. सा. राजगढ़ चातुर्मास करके पुनः उज्जैन पधारे यहां श्री संघ के आग्रह से चैत्र माह की नवपद जी की ओली पूज्य गुरुदेवश्री की निश्रा में हुई। इस अवसर पर बम्बई नवपद आराधक समाज के साथ साथ मालवे के 35 गांवों के श्री संघों के दस हजार आराधकों ने यहां ओली जी की आराधना की थी । आराधकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढती जाने लगी
[20]
For Private and Personal Use Only