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अर्थ-तथापि निश्चय है मनमें जिसके ऐसी मदनसुंदरी कन्या उम्बर राजाके साथ जाती भई विकस्वर मान है मुख जिसका ऐसी मनमें दुःख नहीं करे कैसी है मयना सुंदरी सम्यक् धर्मको जाननेवाली है इससे ॥ ४९ ॥ उंवरपरिवारेणं, मिलिएणं हरिसनिब्भरंगेणं । नियपहुणो भत्तेणं, विवाहकिच्चाई विहियाइं ॥ ५० ॥
अर्थ-बाद इकट्ठा हुआ उम्बरका परिवारने विवाह कार्य किए कैसा है उम्बरका परिवार हर्षसे भरा है अंग 2 ६ जिन्होंका और अपने स्वामीका भक्त है ॥ ५० ॥
इतो रन्ना सुरसुंदरीइ, वीवाहणत्थमुवज्झाओ। पुट्ठो सोहणलग्गं, सोपभणइ राय ! निसुणेसु ॥५१॥ - अर्थ-इधरसे राजाने सुरसुंदरी कन्याका विवाह करने के लिए उपाध्यायको सम्यक् लग्न पूछा तव उपाध्याय बोला
हे महाराज आप सुनो ॥५१॥ अजं चिय दिणसुद्धी, अत्थि परं सोहणं गयं लग्गं । तइया जइया मयणाइ, तीय कुट्ठियकरो गहिओ ५२8 __ अर्थ-आजही दिनशुद्धि है यह सम्पूर्ण दिन शुद्ध है परंतु केवल शोभन लग्न तो तव गया जब मदनसुंदरीने कोढ़ी उम्बर राणेका कर ग्रहण किया ॥५२॥ राया भणेइ हुँहुं, नाओ लग्गस्स तस्स परमत्थो । अहुणाविहु नियधूयं, एयं परिणावइस्सामि ॥५३॥
ROSMAHIRAHISISHA
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