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अर्थ-तब मदनसुंदरी इसके कहे हे पिताजी ! पूर्व भवमें किया सुकृतके वशसे मैं तुह्मारे घर में उत्पन्न भई हूं और सुख भोगवती हूं ॥ ९९ ॥
पुढकयं सुकयं चिय, जीवाणं सुक्खकारणं होइ । दुकयं च कयं दुक्खाण, कारणं होइ निब्र्भतं ॥ १०० ॥
अर्थ - हे पिताजी ! जीवोंके पूर्वभवमें उपार्जन किया सुकृत पुण्यही सुखका कारण होवे है और पूर्वभवमें किया | हुआ पापही दुःखोंका कारण होता है ॥ १०० ॥
न सुरासुरेहिं नो नरवरेहिं, नो बुद्धिबलसमिद्धेहिं । कहवि खलिज्जइ इंतो, सुहासुहो कम्मपरिणामो ॥१॥
अर्थ - उदय आता हुआ शुभाशुभ कर्मोंका परिणाम कोई प्रकार से देव दानव नहीं दूर करसकते हैं और राजाभी नहीं हटा सकते हैं बुद्धिबल समृद्धभी दूर नहीं कर सकते हैं ॥ १ ॥
तो रुट्ठो नरनाहो, अहो अहो अप्पपुन्निया एसा । मज्झकयं किंपि गुणं, नो मन्नइ दुब्बियड्डा य ॥ २ ॥
अर्थ - मदनसुंदरीका बचन सुनके बाद राजा क्रोधातुर भया और इस प्रकारसे बोला अहो अहो लोगो यह कन्या अल्पपुण्यवाली हैं दुर्विदग्धा याने चातुर्यरहित है इसी कारणसे मेरा किया हुआ गुण कुछभी नहीं मानती है ॥ २ ॥
पभणेइ सहालोओ, सामिय ! किमियं मुणेइ मुद्धमई । तं चैव कप्परुक्खो, तुट्ठो रुट्ठो कयंतोय ॥३॥
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