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श्रीपालचरितम्
भाषाटीकासहितम्.
CASSAGALISASSASASARAM
| अर्थ-बादमें वबर देशाधिपके सुभटोंने आकाशमार्गमें बाणोंका मंडप किया याने इतने बाण चलाए कि जिससे बाणोंका मंडप होगया तथापि कुमरके शरीरमें एकभी वाण नहीं लगे ॥ ४४९॥ कुमरसरहिं ताडिय,-देहा ते ववराहिवइसुहडा। केवि हुपडंति केवि हु, भिडंति नासंति केवि पुणो ४५० ___ अर्थ-कुमरके बाणोंसे ताडित देहजिन्होंका ऐसे वह ववर राजाके सुभट कितनेक पड़े याने गिरे और कितनोका| शरीर आपसमें मिले और कितनेक भाग गए ॥ ४५०॥ महकालोवि नरिंदो, मिल्लइ सयहत्थियं सहत्थेण । सोविन लग्गइ ओसहि,-पभावओ कुमरअंगमि ४५१ ___ अर्थ–महाकाल राजाभी अपने हाथसे शस्त्रको चलावे वह भी शस्त्र औषधिके प्रभावसे कुमरके शरीरमें नहीं लगे ॥ ४५१॥
तो वेगेणं कुमरो, गहिउं सयहत्थियं तयं चेव । अप्फालिऊण पाडइ, भूमीए बवराहिवइं ॥ ४५२॥ टू अर्थ-उसके बाद कुमर राजाके हाथको शस्त्रलेके और आस्फालन करके याने राजाके सामने फेंकके वधराधि
पतिको पृथ्वीपर गिरावे ॥ ४५२ ॥ तंबंधिऊण कुमरो, आणइ जा निययसत्थपासंमि। तं दुटुं ते नट्ठा, सत्थाहिवरक्खगा पुरिसा ॥४५३॥
CASSAGESACCHER
॥५८॥
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