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अर्थ — और जहाज कैसे हैं बहुत चामर छत्र सिरिकरी जहाजका आभरण विशेष ध्वजा और प्रधानमुकुट इन्हों करके किया है शृंगार जिन्होंका ऐसे और सढ नाम बडा वस्त्र मई उपकरण विशेष वायु देनेमें प्रसिद्ध और बड़े २ रस्से और सारनंगर लोहमय जहाजको खड़ारखनेका उपकरण और जहाजकी रक्षाके उपकरण भेरी दुंदुभी इन्हों करके करी है शोभा जिन्होकी ऐसे ॥ ३८७ ॥
जलसंवलइंधणसंगहेण, ते पूरिऊण सुमुहुत्ते । धवलोय सपरिवारो चडिओ चालावए जाव ॥ ३८८ ॥
अर्थ - जल संबल इन्धनोंका संग्रह करके उन जहाजोंको पूर्ण करके अच्छे मुहूर्तमें धवल सार्थवाह परिवार सहित जहाजपर चढा और जितने जहाजोंकोचलावे ॥ ३८८ ॥
ताव वलीसुवि दिजंतयासु, वजंततारतूरेसु । निज्जामएहिं पोया, चालिजंतावि न चलंति ॥ ३८९ ॥
अर्थ - उतने देव देवियोंको बलिदान देता थकां ऊंचेस्वरसे वादित्र बजानेसे और निर्यामक जहाजो के चलाने वालोंने जहाज चलाए तौभी जहाज नहीं चले ॥ ३८९ ॥
तत्तो सो संजाओ, धवलो चिंताइ तीइ कालमुहो । उत्तरिय गओ नयरिं, पुच्छइ सींकोत्तरिं चेगं ॥ ३९०॥
अर्थ - तदनंतर वह धवलक चिंताकरके श्याममुख होगया तब जहाजसे उतरके धवलसेठ नगरीमें गया और एक सिकोत्तरी स्त्री से पूछा ॥ ३९० ॥
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