________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( ए) ॥ सिघाचल से, सदा सहुतीरथ सिरदार, सोरठ देश सोहामणो तिहां ए गिरिवर सार ॥१॥ तीन जुवन विच एहवो तीरथ कोइ न होय, सीमंधरवयणेकरी शेजमहात्म जोय ॥२॥ श्रीयुगादि जिनराजजी समवसखा इणगम, तेहथी ए तीरथ वमो अविचल सुखनो धाम ॥३॥ काती पूनम दशक्रोमसुं ए भावम वारिखिल जाण सिद्धि वधू रंगे वस्या कृपाचंद मन आण ॥ ॥ इति ॥
॥अथ श्रीपुंमरीकजीनो चैत्यवंदन ॥ ॥ श्रीशषनजिनेश्वररायना पहिला गणधर देव, पुंमरीक नामें सदा सुरनर सारे सेव ॥ १॥ चैत्री दिन शिवपुर बह्या पांच क्रोम परिवार, पुंमरीक तेहथी अयो प्रगट नाम सुखकार ॥॥ आ अवसरपणी कालमाए प्रथम सिख अनिराम, कृपाचंद गिरिराजने प्रतिदिन करे प्रणाम ॥ ३ ॥ इति ।
॥अथ श्रीसिघाचलजीनु चैत्यवंदन ॥ ४१ ॥जय जय नाजि नरिंद नंद, सिघाचल मंझण ॥जय जय प्रथम जिणंद चंद, जव मुःख विहंडण ॥ जय जय साधु सुरिंद विंद, वंदिय परमेसर ॥जय जय जगदानंद कंद,श्रीरिषन जिणेसर ॥१॥ अमृतसम जिन धर्मनो ए, दायक जगमें जाण ॥ तुझ पद पंकज प्रीतिधर, निशि दिन नमत कट्याण ॥२॥जं किंचि नाम तिबं० ॥ एमोबुणं ॥ जावंति चेश्याइं० ॥ जावंत केवि साहू ॥ मोऽहसिनाचार्योपाध्याय सर्व साधुन्यः ॥ तक कहिके श्रीसिघाचखजीका स्तवन कहे, सो लिखते हैं।
For Private And Personal Use Only