________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( १०३ )
काझोल || से० ॥ चेलणातलाई सिद्ध सिलाए ॥ अंग फरसुं उलोल || से ।। १५ ।। आदिपुर पाजैऊतरुंए || सिद्धवडलं विसरांम ॥ से० ॥ चैत्य प्रवाड इणपरि करीए || सीधा वंछित काम ॥ से० ॥ ॥ १६ ॥ जात्रा करी सेज तणीए || सफल कीयो अवतार || से० ॥ कुसल खेमसुं आवीयोए ॥ संघ सह परिवार ॥ से० ॥ ॥ १७ ॥ सेज रास सोहामणोए । सांभलज्यो सहुकोइ || से० ॥ घर बैठां भणे भावसुं ॥ तमु जात्र फल होइ ॥ १८ ॥ संवत सोल बयांसीयैए || सावण वदि सुखकार || से० ॥ रास भण्यो सेजतणोए || नगर नागोर मझार || से० || १९|| गिरुवो गच्छ खरतरतणोए || श्रीजिनचंदसूरीस || से० ॥ प्रथम शिष्य श्री पूजनाए । सकलचंद सुजगीस ॥ २० ॥ तास सीस जग जाणीयैए ॥ समयसुंदरउवझाय || से० ॥ रास रच्यो तिण रूवडोए सुणतां आनंद था | से० ॥ २१ ॥ इति श्री सेनुंजरास संपूर्णम् ॥
॥ अथ गौतम स्वामीनो रास लिख्यते ॥
|| वीर जिणेसरचरणकमलकमलाकयवासो, पणमवि पभणिसुं साम साल गोयमगुरुरासो || मणतणुवयण एकंत करवि निसुणहु भो भविया, जिम निवसे तुमदेहगेहगुणगण गह गहिया ॥ १ ॥ जंबूदीव सिरिभरह खित्तखोणीतलमंडण, मगह दे स से णियनरेस रिउदलबलखंडण || धणवरगुवर गाम नाम जिहां गुणगणसज्जा, विप्प बसे वसुभूइ तत्थ तसु पुहवीभञ्जा ॥ २ ॥ ताण पुत सिरिइंदभूइ भूयवलयपसिद्धो, चवदह विजा विविहरूव नारी
For Private And Personal Use Only