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( १०२ )
वलि सत्तानी वाव || से० ॥ तिहां विसरामो लीजियैए || वडने चौतरै आय || ३ || से० ॥ पालीताणे पाजडीए ॥ चढीयै उठि परभात || से० ॥ सेश्रुंज नदीय सोहामणीए । दुर थकी देखत ॥ ४ ॥ से० ॥ चढियै हिंगुलाजने हडैए | कलिकुंडनमीयै पास || से० ॥ वारी मांहे पैसीयैए | आणी अंग उल्लास ॥ ५ ॥ से० ॥ मरुदेवी ड्रंक मनोहरूए ॥ गजचढी मरुदेवी माय || से० ॥ शांतिनाथ जिनसोलमाए || प्रणमी जै तसुपाय || से० || ६ || वंसपोर वाडै परगडोर || सोमजी साह मल्हार || से० ॥ रूपजी संघ वी करावीयो ए ॥ चौमुख मूल उद्धार || से० ॥ ७ ॥ चौमुख प्रतिमा चरचीयैए || भमतीमांहि भला बिंब || पांचे पांडव पुजियैए । अदभुतआदि प्रलंब || से० ॥ ८ ॥ खरतर वसही खांतिसु ए ॥ बिंब जुहा अनेक || से० || नेमिनाथ चवरी नमुंए || टालूं अलग उद्वेग || से० ॥ ९ ॥ धरम दुवार माहेंनी सरुएं ॥ कुगति करूं अतिदुर || से० || आ आदिनाथ देहरैए ॥ करमकरूं चकचूर || से० १० ॥ मूलनायक प्रणमुदाए ॥ आदिनाथ भगवंत || से० ॥ देव जुहारुं देहरेए || भमतीमांहि भमंत॥ से० ॥ ११ ॥ सेजे ऊपर कीजीयेए || पांचे ठाम सनात्र || से० || कलश अठोत्तरसो करिए || निरमल नीरसुगात्र से० ॥ १२ ॥ प्रथम आदीसर आगलेए | पुण्डरीक गणधार से० ॥ रायण तलप गला नए || शांतिनाथ सुखकार || से० ॥ १३ ॥ रायण तल पगला नमुंए || चौमुख प्रतिमाच्यार ॥ से० ॥ बीजी भूमि बिंबावलीए । पुंडरीक गणधार || से० || १४ || सूरजकुंड निहालीयैए || अतिभली उल
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