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( १०१ )
॥ २ ॥ से० ॥ वस्तु तणी चोरी करी || सात आंबिल सुध थायोजी ॥ कातीसातदिन तपकीयां ॥ रतन हरण पाप जायो जी ॥ ३ ॥ से० ॥ कांसी पीतल तांबा रजतनी ॥ चोरी कीधी जेणोजी ॥ सात दिवस पुरमढ करें | तो छुटै गिरि एणोजी ॥ ४ ॥ से० ॥ मोती प्रवाला मूंगीया || जिण चोर्या नरनारोजी || आंविल करि पूजा करैं । त्रिणटंक सुद्ध आचारोजी ॥ ५ ॥ से० ॥ धान पाणी रसचोरीया ।। जे भेटै सिद्धक्षेत्रोजी ॥ सेज तलहटी साधुनें । पडिला मैं सुध चित्तोजी ॥६॥ से० ॥ वस्त्राभरण जिणें हर्या ।। ते छुटै इण मेलोजी || आदिनाथनी पूजा करै ॥ ग्रह उठी बहु वेलोजी ॥ ७ ॥ से० ॥ देवगुरुनो धनजे हरै ॥ ते सुद्ध थायें एमोजी || अधिको द्रव्य खरचै तिहां ॥। पात्र पोषे बहु प्रेमोजी || ८ || से० ॥ गाय भैंस घोडा मही ॥ गजनो चोरणहारोजी ॥ द्वै ते वस्तु तीरथै । अरिहंत ध्यान प्रकारोजी || ९ || से० || पुस्तक देहरा पारका || तिहां लिखे अपणो नामोजी ॥ छुटै छम्मासी तप कीयां ॥ सामायक तिणठामोजी ॥ १० ॥ कुंवारी परिवाजका सधव अथव गुरुनारोजी ॥ व्रतभांजे तिणनें को || छम्मासी तप सारोजी ॥ ११ ॥ से० ॥ गौ विप्र स्त्री बालक रिषि || एहनो घातक जेहोजी || प्रतिमा आगै आलोक्तां ॥ छुटै तप करि तेहोजी ॥ १२ ॥ से० ॥ (ढाल ६ कुंमरभलै आवीयौ ए ) ॥ एहनी ॥ संप्रतिकालै सोलमोए || ए बरतै छै उद्धार ॥ सेगुंज यात्रा करूंए | सफल करूं अवतार ॥ १ ॥ से० ॥ छहरी पालतां चालीयैए | सेडुंज केरी वाट || से० ॥ पालीताणे पोहचीये ए ॥ संघ मिल्यो बहुथाट ॥ २ ॥ से० ॥ ललित सरोवर पेषीयैए ।
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