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(१००) चवदमो उद्धारोजी ॥ से० ॥ १७ ॥ संवत तेरै इकोत्तरै ॥ देसल हर अधिकारोजी ॥ समरै साह करावीयो । ए पनरमो उद्धारोजी ॥ से० ॥ १८ ॥ संवतपनर सत्यासीयै ॥ वैसाखवदि सुभवारो जी ॥ करमेंडोसी करावीयो॥ए सोलमो उद्धारोजी । से० ॥१९॥ संप्रति कालै सोलमो॥ एवरतै छै उद्धारोजी॥ नित नित कीजे वंदना ॥पामीजै भवपारोजी ॥ से०॥ २० ॥ दुहा ॥ वलि सेज महातम कहुं ॥ सांभलो जिम छै तेम ॥ सूरि धनेसर इम कहै ।। महावीर कह्यो एम ॥१॥ जेहवो तेहवो दरसणी ॥ सेव॒जे पूजनीक । भगवंतनो वेसवांदतां ॥ लाभ हुवै तहतीक ॥ २ ॥ श्रीसेजेजा ऊपरै ॥ चैत्य करावै जेह ॥ दल परमाण समोलहै ॥ पल्योपम सुखतेह ॥३॥ सेज ऊपर देहरो॥ नवो नीपावैकोय ॥ जीर्णोद्धार करावतां ॥ आठ गुणों फल होय ॥ ४ ॥ सिरऊपरि गागर धरी ॥ स्नात्र करावै नारि ॥ चक्रवर्तिनी स्त्री थई ।। सिवसुख पामें सार ॥५॥ काती पूनिम सेर्बुजे ।। चढिनैं करै उपवास ।। नारकी सौसागर समो॥करै करमनो नास ॥ ६॥ काति परब मोटो कह्यो । जिहां सीधा दशकोड । ब्रह्म स्त्री बालक हत्या ।। पापथी नाखै छोड ॥ ७॥ सहसलाख श्रावग भणी ॥ भोजन पुन्य विशेष ॥ सेज साधु पडिलाभतां । अधिको तेहथी देख ॥ ८ ॥ ढाल ॥५॥ (धन २ अयवंतीसुकुमालनें एहनी) देशी ॥ सेजै गयां पाप छुटी यै ॥ लीजै आलोयण एमोजी ॥ तप जप कीजै तिहां रही। तीर्थकर कह्यो तेमोजी ॥१॥ से० ॥ जिण सोनानी चोरी करी ॥ ए आलोयणतासोजी ॥ चैत्रीदिन सेचुंज चढी । एक करै उपवासोजी
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