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काम-गुण-सत्र पडिक्कमामि पंचहि कामगुणेहिं
सदेणं
रूवणं
गंधेणं
रसेणं
फासेणं
शब्दार्थ पडिकमामि- प्रतिक्रमण करता हूँ रूवेणं = रूप से पंचहिं = पाँचों
गंधेणं = गन्ध से कामगुणेहिं = काम गुणों से रमेण - रस से सहेणं - शब्द से
फासे - स्पर्श से
भावार्थे शब्द, रूप, गन्ध, रस, और स्पर्श-इन पाँचों कामगुणों के द्वारा जो भी अतिचार लगा हो, उसका प्रतिक्रमण करता हूँ।
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