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श्रमण-सूत्र
धम्माणुरंजियं धम्म,
सुक्कं झाणं निरंजणं॥ -हिंसा से अनुरञ्जित = रँगा हुआ ध्यान रौद्र और काम से अनुरञ्जित ध्यान आर्त कहलाता है । धर्म से अनुरञ्जित ध्यान धर्म ध्यान है
और शुक्ल ध्यान पूर्ण निरञ्जन होता है । ___ ध्यान का वर्णन बहुत विस्तृत है। यहाँ सक्षेपरुचि के कारण अधिक चर्चा में नहीं उतर सके हैं। इस सम्बन्ध में अधिक जिज्ञासा वाले सजन प्रवचन सारोद्धार, ध्यान शतक, तत्वार्थ-सूत्र, स्थानांग-सूत्र आदि का अवलोकन करने का कष्ट करें।
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