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: १३ :
दण्ड-सूत्र पडिकमामि तिहिं दंडेहिं
मणदंडेणं वयदंडेणं, कायदंडेणं ।
शब्दार्थ पडिकमामि = प्रति क्रमण करता हूँ मणदंडेण = मनदण्ड से तिहिं = तीनों
वयदंडेण = वचन दण्ड से दंडेहिं == दण्डों से
कायदंडेण = कायदण्ड से
भावार्थ तीन प्रकार के दण्डों से लगे दोषों का प्रति क्रमण करता हूँ। ( कौन से दण्डों से ? ) मनोदण्ड से, वचन-दण्ड से, कायदण्ड से।
विवेचन दुष्प्रयुक्त मन, वाणी और शरीर को आध्यात्मिक-भाषा में दण्ड कहते हैं । जिसके द्वारा दण्डित हो, ऐश्वर्य का अपहार-नाश हो, वह दण्ड कहलाता है। लौकिक द्रव्य दण्ड लाठी श्रादि हैं, उनके द्वारा शरीर दण्डित होता है। और उपयुक्त दुष्प्रयुक्त मन आदि भाव दण्डत्रय से
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