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काल-प्रतिलेखना-सूत्र पडिक्कमामि चाउक्कालं सज्झायस्स अकरणयार उभोकालं भंडोवगरणस्स अप्पडिलेहणाए, दुप्पडिलेहणाए, अप्पमज्जणाए, दुप्पमज्जणाए, अइक्कमे, वइक्कमे, अइयारे, अणायारे,
जो मे देवसिमो अइयारो को तस्स मिच्छा मि दुक्कई ।
शब्दार्थ पडिक्कमामि प्रतिक्रमण करता हूँ भंडोवगरणस्स = भाण्ड तथा उपचाउक्कालं =चार काल में
करण की सज्झायस्म-स्वाध्याय के अप्पडिलेहणाए-अप्रतिलेखना से अकरणयाए = न करने से दुप्पडिलेहणाए-दुष्प्रतिलेखना से उभयोकाल = दोनों काल में अप्पमज्जणाए अप्रमार्जना से
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