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पद्माकरावासिमविश्ववंद्या समर्हणासादितविश्वमंगला। प्रसादमासाद्य चशीतलायाराज्ञः सुता पार्वतिवद्बभूव ॥४१॥
॥ इतिश्री भविष्य पुराणे शीतलाव्रतं संपूर्णम् ॥
ब्राह्मणीने माग्या प्रमाणे वरदान आपी अनेक रूपोने धरनारा मा । । शीतला अद्रश्य थइ गयां. मा शीतला पासेथी वरदान मेळवी सहु पोत पोताने स्थाने गयां अने शुभकारी मा शीतलाना प्रसादे करी। लक्ष्मीनी पेठे विश्ववंद्य अने पार्वतीनी जेम पूज्य थइ ॥४०-४१॥
॥ इतिश्री भविष्य पुराणे शीतला व्रत कथा संपूर्ण ॥
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