________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२५) पामी तीरथ नक्ति ॥ ते॥ नामें जे दृढ शक्ति॥ए॥ शिवगति साधे जे गिरे, तेमाटे अनिधान । ते॥ मु क्ति निलय गुणखाण ॥ १० ॥ चंद सूरज समकित धरी, सेव करे गुन चित्त ॥ ते० ॥ पुप्फदंत विदित्त ॥ ॥ ११ ॥ जी न रहे नव जलयको, जे गिरिलहे नि वास ॥ते॥ महापद्म सुविलास ॥१०॥ नमि धरीजे गिरिवरें,नदधिन लोपे लीह॥ते॥ टथिवीपीत अनीह ॥१३॥ मंगल सवि मलवा तj, पीठ एह अनिराम ॥ते॥न पीठ जसनाम ॥१०॥ मूलजस पाताल में,रत्नमय मनोहार ॥ते॥ पाताल मूल विचार॥१०॥ कर्मदय होये जेहां, होय सि-६ सुखकेल ॥ ते ॥ कर्मकरे मन मेल ॥१०६॥ कामित सवि पूरण होए, जेदनं दरिसण पामते॥सर्वकाम मन नाम॥१०॥ इत्यादिक एकवीश नला, निरुपम नाम नदार॥जे स मखां पातक हरे, बातम शक्ति अनुहार ॥ १० ॥
॥ कलश ॥ इम तीर्थ नायक स्तवन लायक, सं थुण्यो श्री सिगिरि ॥ अहोत्तरसय गाह स्तवनें, प्रे मनक्तं मनधरी ॥ श्री कल्याण सागर सूरि शिष्ये, शुन जगीशे सुख करी ॥ पुण्यमहोदय सकल मंगल, वेति सुजसे जयसिरि ॥१०॥इति। सिगिरि स्तुति
For Private and Personal Use Only