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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (KKKKAKKAKKAKAKK.XXXXXXXXXXEXE XEXE XKAKKAKNEXANEMER करेलं-थयेलुं छे. (मू० ४१) हवे कायव्यायामना ज भेदोनी एकता कहे छे-'एगे उहाणे' इत्यादि उत्थान-चेष्टा-विशेष, कर्म-फरवू वगरे क्रिया, बल-शरीरनुं सामर्थ्य, वीर्य-जीवथी उत्पन्न थयेल शक्ति, पुरुपकार-अहंकार विशेष, पराक्रम-अभिमानमां ज करायेल कार्य. आ सूत्रमा द्वंद्व समास होवाथी प्रथमा विभक्तिनुं एकवचन छे. आ उत्थान वगेरे वीर्यातरायकमना [क्षय | क्षयोपशमथी थयेल जीवना परिणाम विशेषो छ. ए उत्थानादि शब्दोमा प्रत्येकने 'एक' शब्द जोडवो. वीर्यांतरायकमना [क्षय ] क्षयोपशमना विचित्रपणाथी उत्थानादिमा प्रत्येकना जघन्यादि भेदोबडे अनेकपणुं होते छते पण एक समये एक जीवने उत्थानादि विशेष जघन्यादि एक छे, कारण के वीर्यांतरायकर्मना [क्षय ] क्षयोपशमनी मात्रानु एकपणुं छे. कारण ? कार्यनी मात्रा, कारणनी मात्राने आधीन होय छे. सूत्रनो आ भावार्थ छ, विशेष पूर्ववत्. (सू० ४२) पराक्रम | वगेरेथी ज्ञानादि-रूप मोक्षमार्ग प्राप्त कराय छ जेथी कहे छे के: अब्भुट्ठाणे विणये, परक्कमे साहुसेवणाए य । सम्मइंसणलंभो, विरयाविरइए विरइए ॥८॥ अभ्युत्थान-गुरु वगेरेना आगमनथी ऊभा थवामां, विनयमां अने साधु-सेवामा पराक्रम कर्ये छते, सम्यग्दर्शननो लाभ थाय छे. वळी देशविरति तथा सर्वविरतिनो लाभ थाय छे. आ कारणथी ज्ञानादिनुं निरूपण करवा माटे सूत्रकार कहे छे'एगे नाणे' इत्यादि, अथवा पूर्व कहेली धर्मप्रतिमा ते ज्ञानादिस्वरूप छे. आ हेतुथी ज्ञानादिनुं निरूपण करे छे १. आगमोदय समितिवाली प्रतिमा क्षय शब्द काटरखूणा कौसमा छे अने बाबूबाळीमा सळंग पाठरूपे छे. For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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