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बाहरेंनी पहोळाई अढार हजार, पांचसो सुडताळीस योजन अने १५ एकसो पंचावन, बसो ने बारीआ भाग अधिक छे. चउगुणियभरहवासो [ व्यास इत्यर्थः ], हेमवए तं चउग्गुणं तइयं । हरिवासं [ हरिवर्षमित्यर्थः ] चउगुणियं, महाविदेहस्स विक्खंभो ॥ ८८ ॥
जह विक्खंभा दाहिण - दिसाए तह उत्तरेऽवि वासतिए। जह पूव्वद्धे सत्त उ, तह अवरद्धेऽवि वासाई ॥ ८९ भरतक्षेत्रना अंदरना भागमां अने बाहरना भागमां जे व्यास-पहोळाई छे तेने चारगुणी करवाथी हैमवंत क्षेत्रनी क्रमथी अंदर अने बाहरना भागनी पहोळाई थाय हैमवत क्षेत्रना व्यासने चतुर्गुणित करवाथी हरिवर्षक्षेत्रनो व्यास थाय अने हरिवर्षक्षेत्रना व्यासने चतुर्गुणित करवाथी महाविदेह क्षेत्रनो व्यास (पहोळाई) थाय. जेम दक्षिण दिशाना भरतादि त्रण क्षेत्रनो व्यास को तेम ज उत्तरदिशाना ऐखतादि त्रण क्षेत्रनो व्यास क्रमशः जाणवो. जेवी रीते पूर्वार्ध धातकीखंडना सात क्षेत्रनो व्यास को तेवी रीते पश्चिमार्ध्व धातकीखंडना सात क्षेत्रोनो व्यास पण एम ज जाणवो.
सत्ता उई सहस्सा, सत्ताणउयाई अट्ठ य सयाई । तिन्नेव य लक्खाई, कुरूण भागा य बाणउई ॥ ९० ॥ [ विष्कम्भ इति ] ३९७८९७ । ३ १. कालोदधिनी दिशाए. २. भरतनी जेम ऐरवत, हैमवंतनी जेम हैरण्यवत अने हरिवर्षनी जेम रम्यकवर्षनो व्यास जाणवो.
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