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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyarmandie श्रीस्थानाङ्गसूत्र सानुवाद ॥१२३ ॥ सिहरिचुलाना ऊंचा अन्ने मुवान पीतसुवर्णमय लिओनी KXXXXXXXXXXXXXXX) हरिवर्ष क्षेत्र आठ हजार, चार सो, एकवशि योजन अने एक कळानो पहोळो छ, तथा निषध पर्वत सोळ हजार, आठ सो २ स्थानबेतालीश योजन अने बे कळानो पहोळो छे. काध्ययने तेत्तीसं च सहस्सा, छच्च सया जोयणाण चुलसीया। चउरोय कला सकला,महाविदेहस्स विक्खंभो॥५०x उद्देशः ३ तेत्रीस हजार, छसें चोरासी योजन अने चार कला महाविदेह क्षेत्रनो विष्कंभ (पहोळाई ) हे. वर्षधरादिजोयणसयमुश्विद्धा, कणगमया सिहरिचुल्लाहमवंता। रुप्पिमहाहिमवंता, दुसउच्चा रुप्पकणगमया॥५१ स्वरूपम् | शिखरी अने चुल्लहिमवान ए बे पर्वत सो योजनना ऊंचा अने सुवर्णमय छे. तथा रुविम अने महाहिमवान ए वे पर्वत ८७ सूत्रम् । बसो योजनना ऊंचा छे. तेमा रुक्मि पर्वत श्वेतसुवर्णमय अने महाहिमवान पीतसुवर्णमय छे. | चत्तारि जोयणसए, उव्विद्धा णिसढणीलवंताय। णिसहो तवणिजमओ, वेरुलिओ नीलवंतगिरी॥ ५२ ___चार सो योजनना ऊंचा निषध अने नीलवान ए वे पर्वत छे, तेमां निषध तपावेल सुवर्णमय अने नीलबान पर्वत वैडूर्यमणिमय छे. उस्सेहचउब्भागो, ओगाहो पायसो नगवराणं। वपरिही उतिउणो, किंचूणछभायजुत्तो य ॥ ५३॥ पर्वतोनो जमीनमा अबगाढ (ऊंडाई ) प्रायः ऊंचाईथी चोथो भाग होय छे, वृत्त ( गोळ ) परिधि तो पोतपोतानी पहोळाईथी त्रिगुण अने कंइक न्यून छ भाग युक्त होय छे. चोरस परिधि तो लंबाई अने पहोळाईथी द्विगुण होय छे. 'जंबू'इत्यादि० १ २३॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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