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पमनी स्थितिवाळा वसे छे, ते आ-स्वाति, अने प्रभास. (१), जंबुद्वीपना मेरुनी उत्तर अने दक्षिण दिशाए हरिवर्प अने रम्यकवर्ष क्षेत्रमा बे वृत्तवैताढ्य पर्वतो ( कह्या छे, ते आ-) बहुरामतुल्य यावत् पूर्वनी माफक जाणवू, ते आ-गंधापाती अने माल्यवंतपर्याय नामना पर्वत छे. ते बनेमां बे देवो महर्द्धिक यावत् पल्योपमनी स्थितिवाळा वसे छे, ते आ-अरुण अने पद्म नामना देव छे. जंबूद्वीपना मेरुपर्वतनी दाक्षण दिशाए देवकुरु क्षेत्रना पूर्व अने पश्चिमना पडखामां, अश्वना स्कंध (खांध ) जेवा, कंइक ओहा अर्धचंद्रना आकारवाला ये वक्षस्कार ( वखारा) पर्वत कहेल छे, ते आ-बहुसमतुल्य यावत् सौमनस अने विद्युत्प्रभ नामे छे. जंबूद्वीपना मेरुनी उत्तर दिशाए उत्तरकुरु क्षेत्रना पूर्व अने पश्चिमनी बाजुमां अश्वना स्कंध सरखा, कंइक ओछा अर्द्धचंद्रना आकारवाला बे वक्षस्कार पर्वत कहेल छे, ते आ-बहुसमतुल्य यावत् पूर्वनी माफक जाणवू. ते बे पर्वतना नाम कहे ई-गंधमादन अने माल्यवंत. (२), जंबूद्वीपना मेरुपर्वतनी उत्तर अने दक्षिण दिशाए ये दीर्घ(लांबा वैताढ्य पर्वत कहेल छे, ते आ-बहुसमतुल्य यावत् पूर्वनी माफक जाणवू. ते आ-भरतक्षेत्रमा दीर्घवैताढ्य अने ऐखतक्षेत्रमा दीर्घवैताढ्य छे. भरतक्षेत्रना दीर्घताढयमां बे गुफाओ कहेल छे, ते बहुसमतुल्य, विशेष रहित, नानाप्रकारपणाए वर्जित, अन्योन्यने उल्लंघन करती नथी, लंबाई, पहोळाई, ऊंचाई, आकार अने परिधिवडे समान छे, ते आ-तमिस्रागुफा अने खंडप्रपात गुफा छ, त्यां बे देवो महद्धिक यावत् पल्योपमनी स्थितियाळा वसे छे, ते आ-कृतमालक अने नृत्यमालक नामना छे. ऐवत क्षेत्रना दीर्घवैताढ्यमां बे गुफाओ कहेल छे, ते आ प्रमाणे-यावत् कृत्कमालक अने नृत्यमालक बे देव पर्यत वर्णन जाणवू. (३), जंबूद्वीपना मेरुपर्वतनी दक्षिण दिशाए चुल्हहिमवान नामे वर्षधर पर्वतमां वे कूट (शिखर) कह्या छे, ते आ-बहुसमतुल्य, यावत् पहो
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