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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie K:XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX) | व्यापारवडे ग्रहण करेल भाषावर्गणाना द्रव्यना समूहनी सहायताथी जे जीवनो व्यापार ते (२) वचनयोग तथा औदारिकादि शरीरना व्यापारवडे ग्रहण करेल मनोवर्गणाना द्रव्यना समूहनी सहायताथी जे जीवनो व्यापार ते (३) मनोयोग. तेथी जेबी रीते कायादिकरणयुक्त आत्मानी जे वीर्यपरिणति ते योग कहेवाय छे तेवी रीते ज लेश्या पण आत्मानी वीर्यपरिणतिरूप छे. अन्य आचार्यों तो स्पष्ट कहे छे:-कर्मनो जे निस्पंद ( रस अथवा झरगुं) ते लेश्या. लेश्या द्रव्य अने भावभेदथी बे प्रकारे छ. तेमां कृष्णादि द्रव्यो ज द्रव्य लेश्या छे, भावलेश्या तो कृष्णादि द्रव्योथी उत्पन्न थयेल जीवनो जे परिणाम ते भावलेश्या छे. आ लेश्या छ प्रकारे छे. तेनुं स्वरूप आगमप्रसिद्ध जांबूना फळने खानार छ पुरुषना दृष्टांतथी अथवा गामना घातक-मारनार छ पुरुषना दृष्टांतथी समजवू. लेश्याना सूत्रो सुगम छे. विशेष कहे छे:-कृष्ण-काळा वर्णवाळा द्रव्यनी सहायताथी उत्पन्न थयेला अशुभ परिणामरूप लेश्या छ जेओने ते कृष्णलेश्यावाळा छे. एवी ज रीते शेष पदो पण जाणवा. हवे विशेष कहे छ:नील लेश्या कंइक सुंदर रूपवाळी छे, एवी रीते आज क्रमवडे यावत् शब्दथी ज'एगा कावोयलेस्साण'मित्यादि त्रण सूत्र जाणवा, तेमां पक्षि विशेष कपोत( पारेवा ) ना वर्णवडे समान जे धूसवर्ण द्रव्यो, तेनी सहायताथी उत्पन्न थयेली ते कापोतलेश्या, कंइक विशेष शुभ फळ लेश्या छ जेओने ते कपोतलेश्यावाळा जाणवा. तेजः-अग्निनी ज्वाळाना वर्ण जेवा जे रक्त द्रव्यो, तेनी सहायताथी जे उत्पन्न थयेली ते तेजोलेश्या शुभ स्वभाववाळी छे. पद्मकमलना गर्भ( अंदरनो भाग )ना जेवा वर्णवाळा पीळा द्रव्यो, तेनी सहायताथी जे उत्पन्न थयेली ते पद्मलेश्या शुभतर छे-विशेष सारी छे. शुक्ल वर्णवाळा द्रव्योथी जे उत्पन्न थयेली ते शुक्ललेश्या अतिशय शुभ छे. आ लेश्याओनुं विशेषतः स्वरूप उत्तराध्ययनना चोत्रीशमा लेश्या अध्ययनथी KxxxxxxXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX For Private and Personal Use Only
SR No.020691
Book TitleSthanang Sutram Sanuvadasya
Original Sutra AuthorSudharmaswami
AuthorAbhaydevsuri
PublisherAbhaydevsuri
Publication Year
Total Pages377
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size19 MB
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