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सिणा किणिजइ कागिणी नेव य गोसीसचंदणागरुपमुहसारदारूणि दहिऊण कीरति इंगाला, न य एवंविहनिकलं-18 कसुचिरचरियविविहतवेहिं किंपागफलं पिव पजंतदारुणो काउं जुजइ नियाणवंधो, अण्णं च
किं पवणगुंजिएहिं कपिजइ मंदरो रउद्देहिं । दुजणवयणेहिं मणो किंवा पक्खुहद साहूण ? ॥१॥ चिरकालुबूढं किं मजायमइकमंति जलनिहिणो । हरिणंकदिणयरा किं तिमिरप्पसरहिं रुझंति ॥२॥ निम्मलगुणरयणमहानिहाण ! तुम्हारिसावि सप्पुरिसा । ववसंति एरिसं जइ धम्मसिरी ता कमलियउ ? ॥३॥ कत्थ व बच्चउ विणओ ? वोढुं को वा खमो खममियाणि? भग्गनिवासो गच्छ उ कत्थ वराओ विवेओऽवि ? ॥४॥ एमाइविविहवयणेहिं भासिओ जा न देह पडिवयणं । नियनियठाणेसु गया ताव मुर्णिदा निराणंदा ॥५॥
विस्सभूइवि अविचलियणियाणवंधज्झवसाओ अणालोइयपडिकतो कालमासे कालं किया उकोसद्वितीओ महासुक्के देवलोगे देवो समुप्पण्णो, तत्तो उपट्टित्ता जहा वासुदेवो होही जहा य से पिया पयावइत्ति भविही तहा| एत्तो कहिजइ।
इहेब जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पोयणपुरंमि नयरे जहत्याभिहाणो रिउपडिसत्तू नाम राया, तस्स य सयल 12 अंतेउरपहाणा भद्दा नाम अग्गमहिसी, तीसे चउमहासुमिणपिसुणियावयारो अयलो नाम पुत्तो, अचंतमहावलो विस्सुओ य, एगया य तीसे देवीए पाउन्भूओ गम्भो, जाया य कालेण सब्बलक्षणपडिपुण्णसरीरा कण्णगा,
कसKAREPARAKASKA
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