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SAHASRANSAR
पवजा, अचंतं दुरहियासा परीसहा, ता पुत्त! पडिवालेहि कइयवि वासराई, मेहकुमारेण भणियं-अम्मताय ! तडि
तरलमाऊअविलसियं सरयगिरिसरियावारिवेगचडुलं जोवणं मत्तकामिणीकडक्खभंगुरा रायलच्छी, जन्नारंभा इव ददीसंतबहुविप्पओगा इट्ठजणसंजोगा, ता पजत्तमेत्तो गेहनिवामेण, सबहा मा कुणह धम्मविग्छति भणिए अणु-18
ग्णाओ कहकहवि जणणिजणगेहि, तओ महाविभूइसमुदएणं गहिया अणेण भगवओ समीवे पञ्चजा, अन्नेऽवि तं पवजं अणुगिण्हतं पासिऊण बहवे नरिंदसेट्ठिसेणावइसुया जायभवविरागा पवइया। __ अह दुस्सहत्ताए परीसहाणं चलत्तणओ चित्तवित्तीए तस्स मेहकुमारसाहुस्स अणुक्कमेण पढमरयणीए चेव पसुत्तस्स पविसंतनीहरंतमुणिचरणघट्टणुप्पन्ननिहाविगमस्स पवजापरिचायाभिमुहमाणसस्स कहकहवि अदृदुह-14 ट्टियस्स दुक्खेण वोलीणा रयणी, समुग्गयंमि रविमंडले पमिलाणवयणकमलो समुट्ठिऊण तओ ठाणाओ पवज्ज परिमोत्तुकामो गओ भगवओ समीवे ॥
अह केवलावलोएण जिणवरो जाणिऊण भग्गमणं । मेहकुमारं साहुं महुरगिराए इमं भणइ ॥१॥ किं भो देवाणुपिया! संजमजोगंमि भंगमुवहसि । पुवभववइयरं नेव सरसि सयमवि समणुभवियं ॥२॥ एत्तो तइयभवमिं रणे किर वारणो तुहं हुंतो। तत्थ य वणग्गिणा पसरिएण संतत्तसबंगो ॥३॥ बाढं पिवासिओ सरवरंमि पाउं जलं समोगाढो । तडपंकमि य खुत्तो तत्तो नीहरिउमचयंतो ॥४॥
CAMERAMROAST
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