________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रीगुणचंद| निहित्तेकचलणा बीयचलणलंघियघरदुवारदेसा पडिनियत्तेसु सयलभिक्खायरेसु सुप्पेण कुम्मासे पणामेइ त कौशाम्ब्यां महावीरच०
परमहं पारेमित्ति कयनिच्छओ पुरजणेण अणुवलक्खिजमाणाभिग्गहविसेसो बावीसपरीसहसहणट्ठाए असंपर्जत- भावारा: ७ प्रस्तावः जहिट्टियभोयणोऽवि पइदिवसं उच्चावएसु मंदिरेसु पयत्तो परिभमिउं जयगुरू । पुरजणोऽवि भयवंतं अगहियभि-IN
भिग्रहः
राझ्यादि ॥२४१॥दक्खं
क्खं अणुदिणं गेहंगणाओ चेव नियत्तमाणं पेच्छिऊण अचंतसोगसंभारतरलियमाणसो किंकायचयावामूढो चिंतिअपशि
शोका. उमारद्धो, कहं ?किं दुहनिबंधणेणं धणेण? किं तेण मणुयभावेण ? । भोगोवभोगलीलाए ताए किं वा दुहफलाए? ॥१॥ जइ एवंविहमुणिपुंगवस्स गेहंगणं उवगयस्स । पाणन्नपयाणेणवि उवयारे नेव वट्टामो ॥२॥ जुम्मं ॥ कह वा कम्मजलाउलमणेगदुहमयरभीसणावत्तं । संसारसायरमिमं दाणेण विणा तरिस्सामो? ॥३॥ अहवा धन्नाण गिहे पविसइ एवंविहं सुमुणिरयणं । भिक्खापरिग्गहेण य अइधन्नाणं जणइ हरिसं ॥ ४ ॥ जइ एक थिय वेलं कहमवि पडिलाभिओ हवइ एसो। ता पाणिपल्लवे संवसंति सुरमोक्खसोक्खाई ॥५॥ इय जह जह जिणनाहो भूरिपयारेहिं दिजमाणंपि । भिक्खं नो अभिकंखइ तह तह खिजइ पुरीलोगो ॥ ६ ॥
॥२४१॥ एवं च चत्तारि मासे कोसंबीए हिंडमाणो भयवं अन्नया पविट्ठो सुगुत्तमंतिणो भवणं, दूराओ चिय दिहो सुनंदाए, पञ्चभिन्नाओ य जहा सो एस भयवं महावीरसामित्ति, तो अणाइक्खणिजं पमोयपन्भारमुबहंती उट्ठिया
SSAUSAMASSAGALISONGS
For Private and Personal Use Only