SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 451
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AA विउविया घणावली, जायं सलिलवरिसं,समासासिओ तिलयंत्रओ, तेण पएसेण वेगेण आगच्छमाणीए गावीए खुरेण चंपिय मूलविभागो पविट्ठो जलसेयसुकुमारे धरणिवढे, जाओ दढपइट्ठाणो, कमेण परूडाई मूलाई, उम्मीलियाई कंदलाई, पयट्टो फुल्लिउंति । भयवं पुण कुम्मारगामनगर संपत्तो, तस्स बाहिं सूरमंडलस्सुवरिं निहियदिट्ठी उद्धीकयभुयपरिहो दीहरजडाकडप्पो पयइविणीओ पयइपसमपरो पयइदयादक्खिण्णाणुगओ समारद्धसद्धम्मज्झाण वि-12 |हाणो वेसियायणो नाम लोइयतवस्सी ममंदिणसमयंसि आयावेइ । तस्स य उप्पत्ती भन्नइ१. मगहाविसए धणधनसमिद्धलोयकलिए गोबरगामे आभीरलोयाणं अहिवई गोसंखीनाम कुडंविओ, बंधुमई नाम से भज्जा, सा य अवियाउरी, ताणि य परोप्परं दढसिणेहाणुरायाणि विसयसुहमणुहवंताणि कालं वोलेंति, इओ य तस्स गामस्स अदूरे खेडयं नाम संनिवेसो, तत्थ य अविगप्पिया सन्नद्धबद्धकवया पउरपहरणसणाहा मिलेच्छाण धाडी पडिया, तीए व सो गामो निवाडियारक्खिगजणो लुटियधणधनकंसदूसो विणिहयपहरणहत्यसुहंडसत्यो | कओ, तओ वंदिग्गहेण लोगं गहिऊण पट्टिया सहाणं, एगा य गामइत्थिया तबेलं पसूया पइंमि मारिए करकलियबालया सुरूवत्तिकाऊण चालिया चोरोहि, सा य चेडवावडकरतणेण न पारेइ सिग्धगईए समागंतुं, तओ तेहि | सरोसं भणिया-भद्दे । परिचयसु सुयं जब चिरजीवियत्थिणी, इमं च सुणिऊण अइगरुययाए मरणमयस्स परिचत्तो | तीए सुओ तरुच्छामाएं, गया य चोरोह समं, सो य गोसंखिओ गोस्वाइं घेत्तूण पहायसमए समागओ त पएस, AAACAR For Private and Personal Use Only
SR No.020689
Book TitleMahavir Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNayvardhanvijay
PublisherAhmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh
Publication Year1999
Total Pages696
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy