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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagersuri Gyanmandir श्रीगुणचंद महावीरच. ३ प्रस्ताव ॥ ५९॥ १ निरूवेह पहारपरब्बसे जोहनिवहे करेह ओसहघायबंधाइणा परित्ताणं परिमग्गह दुतुरंगमपल्हथिए पत्थिवेत्ति-18 त्रिखण्डसम्मं निउंजिऊण(अंतेउरण)समं समग्गनरवइयग्गपरियरिओ समेओ पोयणपुरं, तओ नयरलोएण कयं वेजयंती, साधनं सहस्साभिरामं ठाणठाणनिबद्धमंचारूढविलासिणीनट्टरमणिजं पमुक्कसुरभिपुप्फपुंजोवयारकलियरायमग्गं पहयपडुपडहपमुहजयतूरनियरं नयरं पविट्ठो महया विभूइए तिविट्ट, जहोचियठाणेसु ठिओ सेसो परिवारो । तओ कइवय लोत्पाटनं. वासराई तत्य ठाऊण पुणोऽवि समग्गबलकलिओ चक्कछत्तधणुमणिमालागयासंखरयणपरिगओ निग्गओ दिसिविजयनिमित्तं तिविट्ट, कमेण पसाहियं भारहद्धखेत्तं, अपणयपुवा नामिया पत्थिवा, गाहिया सेवाविर्ति, गहियाई तेहिंतो करितुरयरयणपमुहाइं पहाणपाहुडाई, एवं च नीसेसमंडलाहिवसहस्साणुगम्ममाणमग्गो पेच्छंतो अपुव्वापुन्वनयराई ठावितो अंगवंगकलिंगाइसु अन्नन्ननरिंदे पत्तो मगहाविसए, तहिं च दिट्ठा कोडिपुरिसवोज्झा महासिला, सा य भुयबलावलेवओ लीलाए वामभुयदंडेण उक्खिविऊण छत्तगं व धरिया सीसोवरिं, अतुलियबलावलोयणहरिसुप्फुल्ललोयणेहि य कओ नरवईहिं जयजयारवो, पढियं च मागहगणेहिं, कहं?देव! मणालागारो तुज्झ करो कलियरुंदकोडिसिलो । सिरिधरियधरणियट्ठस्स वहइ सेसस्स समसीसि ॥ १॥ ॥५९॥ सुह एवंषिहलीलाइएण चित्तं न कंपए कस्स । जइ सम्बहावि पत्थरविणिम्मिओ होज सो न जणो? ॥२॥ इय मागहेहिं णेगप्पयारवयणेहिं संथुणिज्जंतो। मोत्तूर्ण कोडिसिलं चलिओ.राया सपुरहुत्तं ॥३॥ 54545% For Private and Personal Use Only
SR No.020689
Book TitleMahavir Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNayvardhanvijay
PublisherAhmedabad Paldi Merchant Society Jain Sangh
Publication Year1999
Total Pages696
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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