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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ सर्वार्थसिद्धिवचनिका पंडित जयचंदजीकृता ॥ प्रथम अध्याय ।। पान ९८ ॥ उत्कृष्ट अर्द्धपुद्गल परिवर्तन देशोन है । सम्यग्मिथ्यादृष्टिका अंतर नानाजीवकी अपेक्षा सासादनवत् है । एकजीव अपेक्षा जघन्य अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट अर्द्धपुद्गलपरिवर्तन देशोन है । असंयतसम्यग्दृष्टि आदि अप्रमत्तसंयतपर्यंतनिका नानाजीवकी अपेक्षा तौ अंतर नाही है । एकजीव अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट अर्द्धपुद्गलपरिवर्तन देशोन है । च्यारि उपशम श्रेणीवालानिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है । उत्कृष्ट पृथक्त्व वर्ष है । एकजीव अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट अर्द्धपुद्गल परिवर्तन देशोन है अर च्यारि क्षपकश्रेणीवालानिका अर अयोगकेवलीनिका नानाजीव अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय, उत्कृष्ट छह महीना है । एकजीव अपेक्षा अंतर नांही है । अर सयोगकेवलीका नानाजीव अपेक्षा अर एकजीव अपेक्षा अंतर नांही है || विशेषकर गतिके अनुवादकरि नरकगतिविर्षे नारकीनिका सात पृथिवीविषै मिथ्यादृष्टि असंयतसम्यग्दृष्टिका नानाजीव अपेक्षा अंतर नाही । एकजीव अपेक्षा जघन्य तौ अंतर्मुहूर्त है । उत्कृष्ट एक सागर तीन सागर सात सागर दश सागर सतरा सागर बाईस सागर तेतीस सागर देशोन है । सासादन सम्यग्दृष्टि सम्यग्मिथ्यादृष्टिका नानाजीवकी अपेक्षा जघन्य तौ एकसमय है । उत्कृष्ट पल्यका असंख्यातवा भाग है । एकजीव अपेक्षा जघन्य पल्यका असंख्यातवा भाग अर अंतर्मुहूर्त For Private and Personal Use Only
SR No.020662
Book TitleSarvarthsiddhi Vachanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychand Pandit
PublisherKallappa Bharmappa Nitve
Publication Year1833
Total Pages824
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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