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श्रीसप्तपदीशास्त्र - गुजराती भाषानुवाद.
विधि बतावेल छे. ए आगम वचनो प्रमाणे पडिलेहणा करे. ५२ थी ५५. पडिलेहण कर्या पछी काळवेला जाणीने दर्शन करवा माटे जिनालयमा जइ भक्तिपूर्वक श्री जिनप्रतिमाने वंदन करे. ५६ जिनालयना अभावे पूर्व अथवा उत्तरदिशी सन्मुख रही स्थापना राखी श्री जिन प्रतिमाओनुं वंदन करे. श्री अनुयोगद्वार सूत्रमां दश प्रकारनी स्थापना बतावेल छे, ते मांहेथी कोइनी पण स्थापना करे. ५७ आ आगमसिद्धान्तना अक्षरो होवाथी स्थापना अरिहंतने स्थापी वंदन करे, तेनो विधि जे जे आगमोमां बतावेल छे, ते कहे छे
छेद ग्रन्थ प्रवरश्री महानिशीथ सूत्रमां कहेल छे के स्तव, स्तुति विधिए करीने भावनायुक्त थयो थको त्रिकाळ श्री जिनेन्द्र प्रतिमाने वंदन करे तथा श्री ज्ञाताधर्मकथांग सूत्रमां तेमज बीजा त्रिजा उपांगमां, श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्तिमां अने श्री विवाहपन्नति आगमोमां जेम कहेल छे तेम करें. श्री रायपसेणी उपांगमां तथा श्री जीवाभिगम उपांगमां अर्थयुक्त, पुनरुक्त दोषे रहित एवी १०८ स्तुतिए करी श्री जिन प्रतिमानी स्तुति करी विधिपूर्वक 'नमोत्थु थी वंदना करे. एवी रीते ज्ञाताधर्मकथांग, श्री भगवतीजी, श्री जंबुद्वीपप्रज्ञप्तिमां तथा श्री रायपसेणी सूत्रमां सूर्याभदेवनी उपमाए पूजा तथा चैत्यवंदनादि सर्व जाणवु. ५८ थोइओ ऊभे बीलीने अने शक्रस्तव विधिथी बेसीने बोलवु काउसम्गनो अंतर करी rts बोलवी नही, अने लोकिक देवदेवीनी थोड़ बोलवी नही,
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