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आचार्यश्री भ्रातृचंद्रसरि ग्रन्थमाळा पुस्तक ५३ मुं,
परमगुरुदेवश्री पार्श्वचंद्रसूरीश्वरविरचितश्रीसप्तपदीशास्त्र-गुजरातीभाषानुवाद.
अनु. क. प. पू, आ. श्रीसागरचंद्रसूरीश्वरजी महाराज
[श्री सामाचारी समाश्रित-सप्तपदीशास्त्रनी अंदर बधी थइने २८७ प्राकृत गाथाओ छे, अने ७० मी गाथा बे छे. ते गाथाओनो विषय जाणवानी खातर संक्षेपथी गुजराती भाषामा अनुवाद-अर्थरूपे प्राकृत-संस्कृत भाषाना अजाण पण आ ग्रन्थनो कांइक लाभ लइ शके ए हेतुथी अने केटलाएक भावुक आत्माओनी प्रेरणा थवाथी पू.आ. श्रीसागरचंद्र सूरिजोए गुजराती भाषानुवाद करेल छे. ते आ छापवामां आवे छे.]
॥ अहम् ।। प्रथम इप्रदेवने नमस्कार करी ग्रन्थकार वस्तनिर्देश करे छ:-अमरेन्द्र अने नरेन्द्रथी सेवाएला छे चरणयुगल जेमना एवा श्रीवीरजिनेन्द्रने नमस्कार करी साधुनी समाचारी सूत्रानुसारे कहीश. सात द्वारना नाम :
१-गच्छनी मर्यादा, २-संभोग-असंभोगनो विधि, ३-मुनियोनी दिनचर्या, ४-पांचे प्रतिक्रमणनो विधि, ५उदयतिथिर्नु स्वरूप, ६-श्रावकना उपधाननो विधि, ७-अने
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