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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्य श्री भ्रातृचंद्रसूरि अन्यमाळा पुस्तक ५० मुं. ९९ सो नहु लब्भइ कथ्थवि, पंचज्झयणेग-चूलाय ॥२२॥ पडिकमण-सुयक्खंधो, बीओ सकत्थवाभिहाणं तु । ___ तइयमरिहंतचे (थे) इय,-थव-अज्झयणं चउथ्थं तु ॥२२७॥ पंचमगं नामथयं, छठं सुय-संथवं तह चेव । एवं अज्झयणाणि य चत्तारि य दो सुयक्खंधा ॥२२८॥ भणियं दुवालसंग, गणिपिडगं तथ्य कथ्थ एयाई। मन्नामि अहं भयवं, गीयथ्या तं समाइसह ॥२२९॥ एवं कुणह पसायं, चइत्त सव्वं मणोगयं कसायं । जेणं उत्तमपुरिसा, पणयाणं वच्छला हुँति ।।२३०॥ एतेर्सि उपहाण, महानिसीहंमि सावयाणं जं। भणियं तेण न कप्पइ, आवस्सय-सुत्त-भणणंपि ॥२३॥ ( श्रीमहानिसीथे-"पंचमंगल-महासुयक्खंधस्म पंचम. ज्ज्ञयणेग-चूलापरिक्खित्तस्स पवर-वयण-देवयाहिटियस्स" पहनउ उपधाल पहिलउ दुधालसम-विचालइ आंबिल ८ प्रांति अष्टम ए पंचमंगल-महासुयक्खंधनो ऊपधान | " से भयवं कयराए बिहीए तमिरियावहीयमहीए गोयमा जहाणं पंचमंगलमहा-सुयक्खंध से भयवं इरियावहियमहिजित्ताणं तओ किमहिज्झइ गो० सक्थ्ययाइय चेहयवं. दण तिहिं णधरं सक्वत्थयं एगट्ठम-बत्तीसाए आयंबिलेहि । अरिहंतथयं एग-चउथ्थपहिं तिहिं आयंबिलेहि, णाणथ्थय एगे चउथ्थेणं पंचधि आयंबिलेहिं अरहंतथ्थयं एगे चउथ्थेणं पंचआयंबिलेहि" | ए उपधानविधिः । १ नवकार दिन १८ २ इरियापही दिन १८ । ३ नमोत्थुणं दिन ३५ ॥ ४ सव्वलोए अरिह० दिन । ५ चउवीसथ्थयं दिन २८ । ६ ज्ञानस्तष For Private And Personal Use Only
SR No.020656
Book TitleSaptapadi Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarchandrasuri
PublisherMandal Sangh
Publication Year1940
Total Pages291
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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