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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८ सं० प्रा० प्राचीन जैन स्मारक । - माधर्प दिया है। दो छोटे लेखों में मूल संघ का वर्णन है व क्रमशः सं० १४०७ और १४०८ अंकित है। (६) रामनगर-तहसील माऊ से १० मील । बांदा से ६१ मील रामनगर से पश्चिम ५॥ मील सड़क के उत्तर एक बड़ी गुफा है जिसको वाल्मीकि की गुफा कहते हैं-ऊंची पहाड़ी पर है। इस गुफा के भीतर कई लेख सहित जैन और ब्राह्मणों की मूर्तियां १५ वीं शताब्दी की हैं। जर्नल एसि० सो० बंगाल जिल्द १७ से नीचे का हाल विदित हुआ: कालिंजर को रविचित्र भी कहते हैं । यह ७०० या ८०० फुट ऊंची है। (७) अजयगढ़ का किला-कालिंजर से १६ मील । दूसरे द्वार की बाईं तरफ एक तीर्थ है जिसको गङ्गा जमना कहते हैं । मार्ग के सामने की तरफ एक चौखंटे मकान की दीवाले हैं जिनपर पहले छत व शिखर रहा होगा। इसके भीतर एक तरफ ३ बड़ी नग्न मूर्तिये पार्श्वनाथजी की हैं और दो ऐसी ही छोटी हैं । मध्य की मूर्ति १२ फुट ऊंची व दो बगल की छः छः फुट ऊंची है । बाहर भी नग्न पद्मासन मूर्तियां श्री पार्श्वनाथ जी की हैं। For Private And Personal Use Only
SR No.020653
Book TitleSanyukta Prant Ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad Bramhachari
PublisherJain Hostel Prayag
Publication Year1923
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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