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वीं शती। आन्ध्र में गडवल के निवासी। अंकसंख्या 2। कल्याणपीयूषम्- ले.- लिंगन् सोमयाजी। गुरु- कल्याणानंद भारती। विद्यारण्यकृत पंचदशी नामक वेदान्तविषयक प्रकरण ग्रंथ की व्याख्या। कल्याणरामायणम् - ले.- शेष कवि । कल्याणवल्लीकल्याण-चम्पू - ले.रामानुज देशिक। ये "रामानुजचंपू" नामक ग्रंथ के रचियता रामानुजाचार्य के पितृव्य थे। अतः इनका समय 16 वीं शताब्दी का उत्तर चरण है। "लिंगपुराण" के गौरी कल्याण के आधार पर इस चंपू काव्य की रचना हुई है। यह ग्रंथ अभी तक अप्रकाशित है। कवि - सन 1895 पुणे से इस मासिक पत्र का प्रकाशन आरंभ हुआ। इसमें अर्वाचीन विषय प्रकाशित किये जाते थे। कविकंठाभरण - ले. क्षेमेन्द्र। ई. 11 वीं शती। पिताप्रकाशेन्द्र। विषय - शिष्योपदेश। लेखक के कविकण्ठाभरण नामक ग्रंथ का ही एक भाग कविकरणिका नाम से प्रसिद्ध है। कविकर्णरसायनम् - ले. सदाक्षर, (कवि कुंजर)। ई. 17 वीं शती। 24 सर्गों का महाकाव्य । कविकल्पद्रुम - (1) ले. हर्षकुल गणी। ई. 16 श. हैम धातुपाठ का पद्य रूपान्तर। प्रथम पल्लव में धातुस्थ अनुबन्धों के फल का निदेश है। 2 से 10 तक 9 पल्लवों में धातुपाठ के 9 गणों का संग्रह है। अंतिम 11 वें पल्लव में सौत्र धातुओं का निर्देश है। (2) ले. - बोपदेव । पद्यबद्ध धातुपाठ। कविकल्पलता - ले. - देवेश्वर या देवेन्द्र । वाग्भट के पुत्र। देवेश्वर मालवा नरेश का महामात्य था। यह रचना अमरसिंह की काव्यकल्पलता के अनुसार है। अमरसिंह की काव्यकल्पलता के अन्य टीकाकार - (1) वेचाराम सार्वभौम, (2) रामगोपाल कविरत्न, (3) शरच्चन्द्र शास्त्री और (4) सूर्य कवि। कल्लोलिनी - कवि - दि.द. बहुलीकर। पुणे-निवासी। अभिनव संस्कृत काव्यों का संग्रह। प्रा. अरविंद मंगरूळकर कृत अंग्रेजी एवं मराठी अनुवाद सहित सन् 1985 में प्रकाशित । कविकामधेनु - ले. . बोपदेव ने स्वकृत कविकल्पद्रुम पर स्वयं लिखी हुई व्याख्या । कविकार्यविचार - ले. - राजगोपाल चक्रवर्ती। कविकुलकमलम् (नाटक) - ले. - डा. रमा चौधुरी। ई. 20 वीं शती। विषय - कालिदास का उत्तरकालीन चरित्र । दृश्यसंख्या-आठ। कविकुलकोकिल - ले. - डा. रमा चौधुरी। (ई. 20 वीं शती)। "प्राच्यवाणी" के आदेश पर सन 1967 में उज्जयिनी में कालिदास समारोह में अभिनीत एवं स्वर्णकलश से पुरस्कृत । दृश्यसंख्या दस । विषय- कवि कुलगुरु कालिदास की जीवनगाथा । एकोक्तियां, संगीत का प्राचुर्य एवं रोचक संवाद भरपूर हैं।
कविकौतूहलम् - ले. - कान्तिचन्द्र मुखोपाध्याय । कविचिन्तामणि - ले. - गोपीनाथ कविभूषण । साहित्य शास्त्रीय रचना । अध्याय संख्या 24 । अन्तिम अध्याय संगीत विषयक है। कविचिन्तामणि - ले. वासुदेव पात्र। 24 किरण (अध्याय) विषय - समस्यापूर्ति तथा कविसंकेत का अधिकतर विवेचन । अन्तिम भाग में संगीत विषयक चर्चा है। कवितांजलि - ले. ब्रह्मश्री कपाली शास्त्री। श्री. अरविन्द की तीन अंग्रजी कविताओं का संस्कृत अनुवाद। कवितावली - ले. - (1) पं. हृषीकेश भट्टाचार्य। (2) ले.- भारतचंद्र राय। ई. 18 वीं शती। (3) ले.- म.म. राखालदास न्यायरत्न । मृत्यु 1921 में। कविता विनोद कोश - ले, मंडपाक पार्वतीश्वर । ई. 19 वीं शती। कवितासंग्रह - ले.- म.म.केशव गोपाल ताम्हण, नागपुर महाविद्यालय के भूतपूर्व प्राचार्य। 24 काव्यों का संग्रह । विषय - देवतास्तोत्र तथा स्थानीय प्रसिद्ध व्यक्तियों की स्तुति । कविमनोरंजकचंपू - ले.सीताराम सूरि । रचनाकाल सन 1870। इस ग्रंथ के चार उल्लासों में सीताराम नामक किसी परमभागवत ब्राह्मण की कथा वर्णित है। इसमें मुख्यतः तीर्थयात्रा का वर्णन है जिसमें नगरों के वर्णन में कवि ने अधिक रुचि दिखलाई है। द्वितीय उल्लास में अयोध्या का वर्णन करते हुए संक्षेप में रामायण की संपूर्ण कथा का उल्लेख किया है। इसके गद्य व पद्य दोनों ही प्रौढ तथा शब्दालंकार प्रचुर हैं। इस चंपूकाव्य का प्रकाशन 1950 ई. में दि युनिवर्सिटी मैन्यूस्क्रिप्ट लाइब्रेरी, त्रिवेंद्रम से हो चुका है। कविरहस्यम् - ले. हलायुध । ई. 13 वीं श.। कविशिक्षा - 1. ले. जयमंगलाचार्य। समय 11-12 वीं शती । विषय - छन्दःशास्त्र । 2. ले. गंगादास । ई. 16 वीं शती। कवींद्रकर्णाभरणम् - ले.- विश्वेश्वर पाण्डेय। पटिया (अलमोडा जिला) ग्राम के निवासी। ई. 18 वी. शती (पूर्वार्ध) कवीन्द्र-चन्द्रोदय- संकलक - श्रीकृष्ण उपाध्याय। शाहजहान बादशाह के समय प्रयाग में हिन्दू यात्रियों पर लगा अन्याय्य कर, कवीन्द्राचार्य के प्रयास से रद्द हुआ था। सब विद्वान प्रसन्न हो। इस उपलक्ष में 69 पण्डितों द्वारा कवीन्द्राचार्य की गद्य-पद्यमय स्तुति की गई। उसी का संकलन इस ग्रंथ में है। 17 वीं शती के इन पण्डितों के नाम, तत्कालीन समाजव्यवस्था, पाण्डित्य की सीमा आदि पठनीय सामग्री है। हिन्दू कॉलेज दिल्ली के प्राध्यापक डा. हरदत्त शर्मा तथा भांडारकर प्राच्यविद्या शोध प्रतिष्ठान के श्री. एम.एम. पाटकर द्वारा इसका संपादन एवं प्रकाशन हुआ है। कवीन्द्र-वचन-समुच्चय - ले.विद्याकर। ई. 12 वीं शती (पूर्वार्ध) सुभाषितों का कोश। श्रीहर्षपालदेव,बुधाकर गुप्त, आदि अनेक प्रसिद्ध कवियों की रचनाएं इस कोश में समाविष्ट
संस्कृत वाङ्मय कोश - प्रेथ खण्ड /53
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