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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 38 कमलाकरभट्ट कृत धर्मशास्त्रविषयक निर्णय सिन्धु की रचना (?) शताब्दी में हुई38 वेदमंजरी (नीतिमंजरी ) वे लेखक द्या (विद्या) द्विवेद (?) के निवासी थे 39 धर्मशास्त्रविषयक ज्ञानकोश के सदृश नृसिंहप्रसाद मंथ के लेखक दलपतिराज (?) के निवासी थे 1040 न्यायकुल में उदयनाचार्यने बौध्दमत के (?) ग्रंथ का खंडन किया है 41 ईश्वरभंगकारिका के लेखक (?) है42 भासर्वज्ञ ने अपने 47 व्याकरणशास्त्र के पांच पाठों के अन्तर्गत (?) प्रमुख है - 45 नव्यवेदान्त का उदय (?) ग्रंथ के कारण हुआ 48 तंत्रशास्त्रोक्त चक्रों में (?) नहीं माना जाता49 पंचतंत्र में कुल मिलाकर (?) कथाएँ है - 1050 विष्णुशर्मा के पंचतंत्र का विषय (?) है51 पंचतंत्र का सर्वप्रथम न्यायसार में (?) प्रमाण नहीं माना 43 अक्षपादगौतम कृत न्याय सूत्र के (?) अध्याय है 44 न्यायसूत्र में (?) पदार्थों 7/10/16/ 251 के तत्त्वज्ञान से निःश्रेयस की प्राप्ति मानी है संपादन (?) ने किया 52 विद्यारण्य और भारतीतीर्थ - - - 15/16/17/18 - गुजरात / राजस्थान / मालवप्रदेश/ वाराणसी । सौराष्ट्र / महाराष्ट्र कर्नाटक / राजस्थान । ईश्वरभंगकारिका / वज्रसूची उपनिषद् / अपोहसिद्धि / ज्ञातप्रस्थानशास्त्र शान्तरक्षित/ कल्याणरक्षित वसुबन्धु / रत्नकीर्ति । प्रत्यक्ष / अनुमान / उपमान / आगम/ 5/6/7/81 www.kobatirth.org व्यासरायकृत न्यायामृत/ सिद्धसेन दिवाकरकृत न्यायावतार / जयतीर्थकृत न्यायसुधा/ मध्वाचार्यकृत न्यायविवरण । सूत्रपाठ / धातुपाठ / गणपाठ उणादिपाठ । राजचक्र / देवचक्र/ वीरचक्र / धर्मचक्र 97/87/ 77/ 67 1 तंत्रशास्त्र अर्थशास्त्र/ राजनीति / धर्मशास्त्र । हटेल/ मैक्समूलर/ स्टर्नचाख/ नार्मन ब्राऊन । शुद्धाद्वैत विशिष्टाद्वैत / द्वारा रचित सुप्रसिद्ध पंचदशी का विषय (?) है 53 आधुनिक चिकित्सा शास्त्रविषयक गंगाधर कविराज के ग्रंथ का नाम (?) है54 पदार्थ धर्मसंग्रह की रचना (?) ने की है 55 वैशोषिकदर्शन के 58 द्वादशविद्यापति उपाधि के धनी (?) जैनाचार्य थे - प्रशस्तपाद भाष्य पर (?) भाष्य नहीं है 56 पांचरात्र तत्त्वज्ञान विषयक 115 / 130/315/415 कुल संहिताओं की संख् (?) है 59 छन्दः शास्त्र में आठ गणों की पद्धति (?) ने प्रवर्तित की 1060 बीस काण्डों की पिप्पलाद संहिता (?) वेद से संबंधित है 61 व्हेन त्सांग द्वारा चीनी 57 नागेशभट्ट के परिभाषेन्दु- 120/130/140/1501 शेखर में (?) परिभाषाओं की चर्चा हुई 魚 58 तांत्रिकों के रुद्रागमों की संख्या (2) है 63 संस्कृत साहित्य में लाक्षणिक नाटकोंकी परंपरा (?) नाटक से प्रारंभ हुई64 दिङ्नागकृत प्रमाण भाषा में अनुवादित प्रकरण आर्यवाचा नामक बौध्द ग्रंथ के मूल लेखक (?) थे 62 महायान संप्रदाय का सर्वाधिक प्राचीन सूत्रग्रंथ (?) है For Private and Personal Use Only द्वैताद्वैत/ द्वैत । - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंचनिदानम् / पंचस्कन्धप्रकरणम्/ पंचपादिका / पंचग्रंथी प्रशस्तपादाचार्य/ व्योमशिखाचार्य/ उदयनाचार्य श्रीधराचार्य व्योमवती/ भामती/ किरणावली न्यायकन्दली/ 18/ 28/38/ 48 1 खादिराजसूरि/ शुभचन्द्र पद्मसुंदर / सकलकीर्ति । भरत/ जनाश्रय / पिंगल / कालिदास शुक्लयजुस् / कृष्णयजुस् / साम / अथर्व / आर्य असंग / नागार्जुन/ वसुबंधु / धर्मकीर्ति । प्रज्ञापारमितासूत्र / प्रतीत्यसमुत्पादगाथासूत्र / गण्डव्यूहसूत्र / अर्थविनिश्चयसूत्र । संकल्पसूर्योदय/ प्रबोधचन्द्रोदय अनुमितिपरिणय परंजनचरित चीनी/ तिब्बती/ सिंहली / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी / 37
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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