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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 774 (?) ग्रंथ अश्वघोषकृत - वज्रसूची उपनिषद्/ मानने में सन्देह है- बुद्धचरित/ सौन्दरनन्द। शारिपुत्रप्रकरण। 775 बुध्दचरित की सर्गसंख्या - 14/20/25/28/ चीनी तथा तिब्बती अनुवादों के अनुसार (?) है 776 आर्यशूर की जातकमाला - 24/34/44/54 में भगवान बुद्ध के (?) जातकों (पूर्वजन्मों) वर्णन है777 किरातार्जुनीयम् का (?) - 15 वा/16 वा/17 वा/ सर्गचित्रकाव्यमय है- 18 वा।। 778 क्षेमेन्द्र ने (?) वृत्त - उपजाति/ वंशस्थ/ राजनीतिक विषयों के भुजंगप्रयात/ वियोगिनी। वर्णन के लिये अधिक उपयुक्त माना है779 भारवि के कवित्व में - उपमा/ अर्थगौरव/ (?) गुण प्रशंसा के पदलालित्य/ उदारत्व । योग्य माना गया है780 शास्त्रकवियों में (?) - भट्टि/ भट्ट भीम/ धनंजय/ अग्रगण्य कवि है- राजचूडामणि दीक्षित। 781 जानकीहरण के कर्ता - श्रीलंका/तिब्बत/ केरल/ कुमारदास (?) के बंगाल। निवासी थे782 किंवदन्ती के अनुसार - अंध/ बधिर/ पंगु/ मूक। कवि कुमारदास जन्मतः (?) थे783 कालिदास का - काश्मीर/ श्रीलंका/ बंगाल/ समाधिस्थान (?) विदर्भ दिखाया जाता है784 सिंहली परम्परा के - मित्र/ शत्रु/शिष्य/ अनुसार कुमारदास आश्रयदाता। कालिदास के (?) माने जाते है785 प्रवरसेन का सेतुबन्ध - शौरसेनी/महाराष्ट्री/ महाकाव्य (?) प्राकृत पैशाची/मागधी भाषा में रचित है786 शिशुपालवध महाकाव्य - 18/19/20/21। की सर्गसंख्या (?) है787 भोजप्रबन्ध की कथा के - भूतदया/ औदार्य/सत्यनिष्ठा अनुसार माघ कवि (?) वीरता गुण के लिए प्रसिद्ध थे 788 माघकाव्य के प्रथम - मल्लिनाथ/ वल्लभदेव/ टीकाकार (?) थे- एकनाथ/ भरतमल्लिक । 789 सोढ्ढल ने अपनी - वागीश्वर/ अर्थेश्वर/ अवन्तिसुन्दरी कथा में रसेश्वर/ सर्वेश्वर रामचरितकार अभिनन्द की स्तुति (?) उपाधि से की है790 सोढ्ढल की अवन्ति - बाण/ कालिदास/ सुन्दरी कथा में सर्वेश्वर वाक्पतिराज/गौडाभिनन्द उपाधि से (?) को गौरवान्वित किया है791 योगवासिष्ठसार तथा ___ - शक्तिस्वामी/ कल्याणस्वामी/ कादम्बरीकथासार के जयन्तभट्ट/अभिनन्द/ लेखक (?) थे: 792 क्षेमेन्द्र के मतानुसार - वाल्मीकि/ अमरचन्द्रसरि/ अनुष्टुप् छन्द के सर्वोत्तम शातानन्दि अभिनन्द/ रचयिता (?) थे- मंखक 793 शातानन्दि अभिनन्द के - अयोध्या/ अरण्य/ 36 सर्गात्मक रामचरित किष्किन्धा/ सुन्दर । का प्रारंभ (?) काण्ड से होता है794 बालभारत के रचयिता - श्वेताम्बर जैन/ दिगम्बर जैन अमरचन्द्रसूरि (?) थे- वीरशैव/ वीरवैष्णव । 795 बालभारतकार अमरचंद्र - चौलुक्य वीसलदेव। सूरि (?) के सभाकवि वाकाटक विध्यशक्ति/ थे काश्मीराधिपति ललितादित्य पालवंशीय हारवर्ष । 796 माघ तथा अमरचंद्र ने - हरिणी/मालिनी/ रथोध्दता एकादश सर्गमें प्रभात दोधक। वर्णन (?) वृत्त में किया है 797 हयग्रीववध काव्य के - मातृगुप्त/भर्तृमेण्ठ/कल्हण/ रचयिता (?) थे- विल्हण। 798 भर्तमेण्ठ के आश्रयदाता - काश्मीर/ उज्जयिनी/ मातृगुप्त (?) के नेपाल/कलिंग। अल्पकाल तक अधिपति - भर्तृमेण्ठ/ भवभूति/ राजशेखर/मुरारि । 799 वाल्मीकि के अवतार माने गये कवियों में (?) की गणना नहीं होती 800 हरविजयकार रत्नाकर के आश्रयदाता चिप्पट जयापीड (?) के - काश्मीर/ राजस्थान/ विदर्भ/ कामरूप। संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी / 27 For Private and Personal Use Only
SR No.020650
Book TitleSanskrit Vangamay Kosh Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreedhar Bhaskar Varneakr
PublisherBharatiya Bhasha Parishad
Publication Year1988
Total Pages638
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size30 MB
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