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774 (?) ग्रंथ अश्वघोषकृत - वज्रसूची उपनिषद्/ मानने में सन्देह है- बुद्धचरित/ सौन्दरनन्द।
शारिपुत्रप्रकरण। 775 बुध्दचरित की सर्गसंख्या - 14/20/25/28/
चीनी तथा तिब्बती अनुवादों के अनुसार (?) है
776 आर्यशूर की जातकमाला - 24/34/44/54
में भगवान बुद्ध के (?) जातकों (पूर्वजन्मों)
वर्णन है777 किरातार्जुनीयम् का (?) - 15 वा/16 वा/17 वा/
सर्गचित्रकाव्यमय है- 18 वा।। 778 क्षेमेन्द्र ने (?) वृत्त - उपजाति/ वंशस्थ/
राजनीतिक विषयों के भुजंगप्रयात/ वियोगिनी। वर्णन के लिये अधिक
उपयुक्त माना है779 भारवि के कवित्व में - उपमा/ अर्थगौरव/
(?) गुण प्रशंसा के पदलालित्य/ उदारत्व ।
योग्य माना गया है780 शास्त्रकवियों में (?) - भट्टि/ भट्ट भीम/ धनंजय/
अग्रगण्य कवि है- राजचूडामणि दीक्षित। 781 जानकीहरण के कर्ता - श्रीलंका/तिब्बत/ केरल/
कुमारदास (?) के बंगाल।
निवासी थे782 किंवदन्ती के अनुसार - अंध/ बधिर/ पंगु/ मूक।
कवि कुमारदास जन्मतः
(?) थे783 कालिदास का - काश्मीर/ श्रीलंका/ बंगाल/
समाधिस्थान (?) विदर्भ
दिखाया जाता है784 सिंहली परम्परा के - मित्र/ शत्रु/शिष्य/
अनुसार कुमारदास आश्रयदाता। कालिदास के (?) माने
जाते है785 प्रवरसेन का सेतुबन्ध - शौरसेनी/महाराष्ट्री/
महाकाव्य (?) प्राकृत पैशाची/मागधी
भाषा में रचित है786 शिशुपालवध महाकाव्य - 18/19/20/21।
की सर्गसंख्या (?) है787 भोजप्रबन्ध की कथा के - भूतदया/ औदार्य/सत्यनिष्ठा
अनुसार माघ कवि (?) वीरता गुण के लिए प्रसिद्ध थे
788 माघकाव्य के प्रथम - मल्लिनाथ/ वल्लभदेव/
टीकाकार (?) थे- एकनाथ/ भरतमल्लिक । 789 सोढ्ढल ने अपनी - वागीश्वर/ अर्थेश्वर/
अवन्तिसुन्दरी कथा में रसेश्वर/ सर्वेश्वर रामचरितकार अभिनन्द की स्तुति (?) उपाधि
से की है790 सोढ्ढल की अवन्ति - बाण/ कालिदास/
सुन्दरी कथा में सर्वेश्वर वाक्पतिराज/गौडाभिनन्द उपाधि से (?) को
गौरवान्वित किया है791 योगवासिष्ठसार तथा ___ - शक्तिस्वामी/ कल्याणस्वामी/
कादम्बरीकथासार के जयन्तभट्ट/अभिनन्द/
लेखक (?) थे: 792 क्षेमेन्द्र के मतानुसार - वाल्मीकि/ अमरचन्द्रसरि/
अनुष्टुप् छन्द के सर्वोत्तम शातानन्दि अभिनन्द/
रचयिता (?) थे- मंखक 793 शातानन्दि अभिनन्द के - अयोध्या/ अरण्य/
36 सर्गात्मक रामचरित किष्किन्धा/ सुन्दर । का प्रारंभ (?) काण्ड से
होता है794 बालभारत के रचयिता - श्वेताम्बर जैन/ दिगम्बर जैन
अमरचन्द्रसूरि (?) थे- वीरशैव/ वीरवैष्णव । 795 बालभारतकार अमरचंद्र - चौलुक्य वीसलदेव।
सूरि (?) के सभाकवि वाकाटक विध्यशक्ति/ थे
काश्मीराधिपति ललितादित्य
पालवंशीय हारवर्ष । 796 माघ तथा अमरचंद्र ने - हरिणी/मालिनी/ रथोध्दता
एकादश सर्गमें प्रभात दोधक। वर्णन (?) वृत्त में
किया है 797 हयग्रीववध काव्य के - मातृगुप्त/भर्तृमेण्ठ/कल्हण/
रचयिता (?) थे- विल्हण। 798 भर्तमेण्ठ के आश्रयदाता - काश्मीर/ उज्जयिनी/
मातृगुप्त (?) के नेपाल/कलिंग। अल्पकाल तक अधिपति
- भर्तृमेण्ठ/ भवभूति/
राजशेखर/मुरारि ।
799 वाल्मीकि के अवतार
माने गये कवियों में (?) की गणना नहीं
होती 800 हरविजयकार रत्नाकर
के आश्रयदाता चिप्पट जयापीड (?) के
- काश्मीर/ राजस्थान/ विदर्भ/ कामरूप।
संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी / 27
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