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के राजा थे749 वाल्मीकिरामायण की
सर्वाधिक लोकप्रिय टीका (?) है
750 संस्कृत वाङ्मय के इतिहास में (?) शतक
पाण्डित्य का युग माना जाता है
साक्षात् पशुः पुच्छविषाणहीनः ।।' यह (?) वचन है
752 यूरोप में रामकथा का प्रचार (?) शताब्दी से
751 'साहित्यसंगीतकलाविहीनः । शंकराचार्य / भर्तृहरि / कालिदास / भवभूति ॥
हुआ753 परंपरा के अनुसार भारताख्यान की रचना
वेदव्यास ने (?) वर्षो में की
754 महाभारत में
उल्लिखित विष्णु के दस अवतारो में
(?) की गणना नही होती.
रामकथा (?) अध्यायों की है
760 हरिवंश (?) का परिशिष्ट ग्रंथ है761 हरिवंश के तीन पर्वों में
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(?) पर्व की गणना नहीं होती
26 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी
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मनोहरा / धर्माकृतम् / रामायणतिलक / वाल्मीकि - हृदय ।
4-5/7-8/10-11/
12-14
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15/16/17/18 I
755 चंद्रगुप्त की राजसभा
आये हुए विदेशी राजदूत का नाम (?) था 756 महाभारत के अंतिम पर्व का नाम (?) है757 भीष्मपितामह द्वारा
युधिष्ठिर को मोक्षधर्म एवं राजधर्म का उपदेश (2) पर्व में वर्णित है
758 सुप्रसिद्ध शकुन्तलोपाख्यान आदि / वन / स्त्री/ अश्वमेव
महाभारत के (?) पर्व में वर्णित है759 वनपर्व में वर्णित
3/5/8/10 1
हंस / नृसिंह / वामन / बुध्द
मेगास्थेनिस युवानच्वांग / फाहैन/ सेल्यूकस निकतर /
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स्वर्गारोहण / महाप्रस्थानिक / मौसल / अनुशासन | भीष्म शान्ति / अनुशासन/ वन ।
15/18 20/25 |
रामायण / महाभारत / भागवत / विष्णुपुराण । हरिवंश / खिल/ विष्णु / भविष्य ।
762 महाभारत की सर्वमान्य टीका का नाम (?) है
763 महाभारत की सर्वमान्य टीका के लेखक (?) थे
764 न पाणिलाभादपरो लाभः कश्चन विद्यते" यह महत्त्वपूर्ण वचन महाभारत के (?) पर्व में है
765 वेदाः प्रतिष्ठिताः सर्वे
पुराणे नात्र संशयः "यह वचन (?) उपपुराण का है
रमन्ते तत्र देवताः " यह श्रेष्ठ वचन (?) स्मृति में है
766 'श्लोकत्वमापद्यत यस्य शोक:'- इस वचनद्वारा कालिदास ने (?) का निर्देश किया है767 भारवि को (?) वंशीय
राजा का आश्रय प्राप्त था
768 परम्परा के अनुसार कालिदास को (?) महाराजा का आश्रय प्राप्त था
769 "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते
771 व्याकरणशास्त्रकार
पाणिनि (?) नगर के निवासी थे
772 रघुवंश महाकाव्य में (?) सर्गो में रामचरित्र का वर्णन है
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773 रघुवंश के अंतिम 19 वे सर्ग में (?) का चरित्र चित्रण किया है
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770 रुद्रदामन् का गिरनार शिलालेख (2) शताब्दी में स्थापित हुआ
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भारतभावदीप / भारतोपायप्रकाश / दुर्घटार्थप्रकाशिनी / भारतार्थप्रकाश ।
चतुर्भुज मिश्र / नीलकण्ठ चतुर्धर देवस्वामी/ नारायणसर्वज्ञ ।
अश्वमेध / शान्ति / उद्योग/ अनुशासन ।
नारदीय/ कापिल/ माहेश्वर /
पाराशर ।
वसिष्ठ / वाल्मीकि / राम /
अज ।
चोल / पाण्ड्य / पल्लव/ काकतीय।
भोज/ शकारि विक्रमादित्य समुद्रगुप्त कुन्तलेश्वर
मनु / याज्ञवल्क्य / पराशर / अत्रि ।
1/2/3/41
पुरुषपुर / शालातुर / उज्जयिनी / वलभी।
2/4/6/81
अग्निमित्र / अग्निवर्ण/ पुरुरवा / दुष्यन्त ।