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689 भारत के (?) प्रादेशिक - मलयालम् । मराठी।
भाषा के काव्य का प्रथम तमिळ । अवधी।
संस्कृत अनुवाद हुआ690 अप्पय्य दीक्षित के - 120/123/125/127
कुवलयानंद में कुल (?) अलंकारों का
विवेचन है691 जयदेवकृत चंद्रालोक से - कुवलयानंद । रसगंगाधर ।
प्रभावित अलंकारशास्त्र काव्यदर्पण। अलंकारसंग्रह
का (?) ग्रंथ है692 लक्ष्यसंगीत के अनुसार - बिलावल । काफी । भैरव ।
सब से अधिक राग (?) कल्याण ।
मेल में है693 वेलावली मेल के अंतर्गत- 15/32/18/43
(?) राग है694 मल्लार राग के (?) - 8/10/5/7
प्रकार है695 भातखंडेजी के मतानुसार - 10/12/15/72
कुल मेल (ठाठ)
703 कूर्मपुराण की प्रसिद्ध 4 - ब्राह्मी । भागवती । सौरी।
संहिताओं में से (?) वैष्णवी।
संहिता उपलब्ध है704 व्यासगीता (?) पुराण के- अग्नि । नारद । पद्म । अंतर्गत है
कूर्म। 705 कृत्यकल्पतरू के लेखक - राजा। सचिव ।
लक्ष्मीधर कन्नौज राज्य न्यायाधीश । पुरोहित
में (?) थे706 चौदह काण्डों के कृत्य- - 71 121 14121 ।
कल्पतरू में राजधर्मकाण्ड की अध्यायसंख्या
696 संगीत शब्द के अन्तर्गत - गीत । वाद्य । अभिनय ।
(?) कला का अंतर्भाव नृत्य।
नहीं माना गया है697 हिंदुस्थानी पद्धति के - वादी । विवादी। संवादी।
राग में (?) प्रकार के प्रतिवादी।
स्वर नहीं होते698 शुध्द स्वरों के सप्तक को - तार । मध्यम । मंद्र।
(?) सप्तक कहते है- बिलावल। 699 संगीत के सप्तक में - 5/7/8/12
रागोपयोगी स्वरों की कुल
संख्या (?) मानी है700 राग की मुख्य जाति - 3/9/72/484
(?) प्रकार की होती है701 उत्तरी संगीत में सबसे - षाडव-षाडव/ औडुव
अधिक राग (?) षाडव/ औडुव-औडुव/ जाति के होते है- संपूर्ण-औडुव
707 राजनीति शास्त्र के 3/6/7/8
अनुसार राज्य के (?)
अंग होते है708 राजा की तीन शक्तियों में - प्रभु. । मन्त्र. । उत्साह. ।
(?) शक्ति नहीं मानी यन्त्र. । 709 कृषिपराशर ग्रंथ (?) - 6/7/8/9
शताब्दी का माना गया है 710 संगीतरत्नाकर में गायक - 22 1 23 1 24 125 1
के दोष (?) बताए है711 अभिनव रागमंजरीकार ने - 72, 100, 125/2001
(?) रागों का परिचय
दिया है712 प्राचीन श्रुति-स्वर व्यवस्था- छन्दोवती ।रक्तिका । क्रोधी/
के अनुसार षड्जस्वर मार्जनी।
(?) श्रुति पर स्थित होताहै 713 आधुनिक श्रुतिस्वर - उग्रा/ मदती/ क्षिति/
व्यवस्था के अनुसार वज्रिका पंचमस्वर (?) श्रुतिपर
स्थित होता है714 संगीतरत्नाकर में - 25/28/30/ 32 |
वाग्गेयकार के (?) गुण
बताए है715 कृष्ण यजुर्वेद के प्रथम - पैल/ सुमन्तु/जैमिनि/
आचार्य (?) है- वैशम्पायन । 716 पांतजल महाभाष्य के - 86/96/100/101 ।
अनुसार यजुर्वेदकी (?)
शाखाएँ थी717 कृष्ण यजुर्वेद की लुप्त - श्वेताश्वतर/ कौण्डिण्य/
शाखाओंमें (?) शाखा काठक/ अग्निवेश।
नहीं है718 नारायणतीर्थकृत कृष्ण- - 12/24/36/48 ।
लीला तरंगिणी में (?)
701 कल्याणरक्षित के ईश्वर - कुसुमांजलि।किरणावली।
भंगकारिका का खंडन न्यायमंजरी। उदयनाचार्य ने (?) ग्रंथ तात्पर्यपरिशुद्धि ।
द्वारा किया702 कूर्मपुराण की विद्यमान - 17/18/617
संहिता में? श्लोकसंख्या (?) सहस्र है
24 / संस्कृत वाङ्मय प्रश्नोत्तरी
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