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रुक्मिणीहरणम्, शंकरसंभवम्, वियोगवैभवम्, नाट्यग्रंथ = कंसवधम्, जानकीविक्रमम्, वंगीयप्रतापम्, मेवाड-प्रतापम्, शिवाजीविजयम् (शिवचरितम्), विराज सरोजिनी (गीतिनाटक) कुलपंजिका वृत्तमुक्तावली मकरसंक्रतीयम् सत्यभामापरिग्रहम्, सुभद्राहरणम्, हैहयविजयम्, रुक्मिणीहरणम्, परशुरामचरितम्, पांडवविजयम्, भारतीगीति
हरि मिश्र हरिशंकर हेमंतकुमार तर्कतीर्थ : हेमचंद्र राय कविभूषण :
अमरूशतकम्
नारायण चक्रवती (17), नयनानंद शर्मा, रामतर्कवागीश, गोपाल चक्रवर्ती, भरत मल्लिक, मुकुन्द शर्मा, रामप्रकाश तर्कालंकार, रामेश्वर न्यायवागीश, रामेश्वर शर्मा [(18) विद्वहारावली], रामनाथ चक्रवर्ती, लोकनाथ चक्रवर्ती (पदमंजरी), रघुनाथ शर्मा, श्रीपति चक्रवर्ती, रत्नेश्वर चक्रवर्ती (रत्नमाला), नारायण विद्याविनोदाचार्य, नीलकण्ठ शर्मा, रामानन्द वाचस्पति रविचन्द्र (टिप्पणी) रामरुद्र न्यायवागीश, जर्नादन कलाधर सेन, गंगाधर कविराज विश्वनाथ चक्रवर्ती, वृन्दावन तर्कालंकार (दीधिति प्रकाशिका), लोकनाथ चक्रवर्ती, सार्वभौम हेमाद्रि (13) अरुणदत्त सर्वांगसुंदरी बेचाराम न्यायालंकार कृत) अज्ञातकर्तृक-टीका सिद्धान्ततरी जीव गोस्वामी (लोचनरोचनी), विश्वनाथ चक्रवर्ती (आनन्द चन्द्रिका), अज्ञातकर्तृक आगमचन्द्रिका और
आत्मप्रबोधिका : बलदेव विद्याभूषण
अलंकारकौस्तुभ (कविकर्णपूर कृत)
(परिशिष्ट-(15-अ) वंगीय टीकात्मक वाङ्मय (1)
संस्कृत का टीकात्मक वाङ्मय मौलिक वाङ्मय से कई गुना अधिक है। एक एक ग्रंथपर अनेक विद्वानों द्वारा उनके अपने अपने सिद्धान्त के या संप्रदाय के मतानुसार टीकात्मक ग्रंथ विवेचनार्थ या विवरणार्थ लिखे गये। वंगीय संस्कृत वाङ्मय की सूची में कुछ टीकात्मक ग्रंथों का उल्लेख हुआ है। प्रस्तुत परिशिष्ट में प्रमुख टीकाकारों का उल्लेख करते हुए साथ में शताब्दी की संख्या का यथावसर टीका नाम का भी निर्देश किया है।
अष्टांगहृदय (वाग्भट कृत) आनन्दतरंगिणी (प्रवासवृत्त)
(रूप गोस्वामी कृत)
ग्रंथनाम अमरकोश
टीकाकार : सुभूतिचंद्र (11-12
कामधेन), सर्वानन्द वंद्यघटीय [(12) टीका सर्वस्व] रायमुकुट (15), परमानन्द (15), त्रिलोचनदास (13), गोविन्दानन्द कविकंकणाचार्य (15), मथुरेश (16), रामकृष्ण भट्टाचार्य (16),
उत्कलिकावल्लरी (रूप गोस्वामी कृत) उत्तररामचरितम्
ताराकुमार चक्रवर्ती, आनंदराम बरूआ, प्रेमचंद्र तर्कवागीश, नीवानन्द विद्यासागर, बुधभूषण गोस्वामी,
494 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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