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वरदविष्णुमिश्र वरदाचार्य
वरवरमुनि
वरदार्य वंगिवशेश्वर वात्स्य वरदाचार्य (नाडादूर अम्मल) वादिकेसरी वादिकेसरी सौम्यजामातृमुनि वाधुल वरदराघव वाधुल वरदादेशिक वाधुल वरदाचार्य विग्रहं देशिकाचार्य (19) विष्णुचित्त
(रामामुजगीताभाष्य की टीका), पांचरात्ररक्षा, शतदूषणी, मीमांसापादुका, सेश्वरमीमांसा (जैमिनिसूत्र व्याख्या), न्यायपरिशुद्धि, न्यायसिद्धांजन, तत्त्वमुक्ताकलाप (सर्वार्थसिद्धिटीकासहित), रामानुजकृतवेदार्थ संग्रह की टीका (अप्राप्य), चरमोपाय निर्णय, निक्षेपरक्षा, इत्यादि कुल 114 ग्रंथ। वेदान्तदेशिककृत रहस्यत्रयसार की टीका, प्रपन्नधर्मसार । पराशरभट्टकृत अष्टश्लोकी की टीका। ब्रह्मसूत्रार्थसंग्रह ब्रह्मलक्षणवाक्यार्थसंग्रह, भावप्रकाशिकादूषणोद्धार, ब्रह्मशब्दार्थविचार, ब्रह्मशब्दार्थनिष्कर्ष, उपादानत्त्वविचार, कार्पण्यदर्पण।
वेदान्त रामानुज मुनि
वैकुण्ठनाथ (18-19) : वैष्णवदास गोविंदराज :
शठकोपमुनि
: मानयाथात्म्यनिर्णय) : रहस्यत्रयकारिका, तत्त्वविवेक,
पांचरात्रकण्टकोद्धार। बालबोधिनी (भगवद्गीता की टीका)। ब्रह्मसूत्रार्थ टिप्पणी।
आह्निककारिका। : तत्त्वसार, तत्त्वनिर्णय,
प्रमेयमाला, प्रपन्नपारिजात : गीतासार
रहस्यत्रयविवरणम्, तत्त्वदीप, अध्यात्मचिन्ता । अणुत्वसमर्थनम्। कैवल्यनिरुपणम्।
श्रीतत्त्वरत्नम्। : ब्रह्मसूत्रभाष्यटिप्पणी
(श्रीभाष्य की व्याख्या)। संगतिमाला, तैत्तिरीय उपनिषद्भाष्यम्, प्रमेयसंग्रह (अप्राप्य) श्रीतत्त्वसुधा, लक्ष्मीमंगलदीपक, अर्चावतार प्रामाण्यम्, सच्चरित्र परित्राणम्। ब्रह्माज्ञाननिरास द्रविडाम्नायशतकम् (शठकोपकृत तिरुवैमोली का अनुवाद) ब्रह्मसूत्रभाष्यार्थ पूर्वप्रकाश संग्रहकारिका) अधिकरणसारावली (इसपर टीका अधिकरणचिन्तामणि वरदाचार्यद्वारा), अधिकरणदर्पण, सच्चरित्ररक्षा, द्रमिडो पनिषतूसार, द्रमिडोपनिषत्तात्पर्यरत्नावली, रहस्यत्रयसार, न्यासविंशति, ईशावास्योपनिषद्भाष्यम्, शतदूषणी, तत्त्वटीका (श्रीभाष्य की व्याख्या), चतुःश्लोकीटीका, स्तोत्ररत्नटीका, गीतार्थ संग्रहरक्षा, तात्पर्यचन्द्रिका
वीरराघव (19)
वेंकटकृष्णाचार्य वेंकटराम
: पंचकालक्रियादीप
वेंकटार्य
शतक्रतु श्रीनिवासाचार्य शिंगरार्य (19) शुद्धसत्त्वं रामानुजाचार्य
वेदान्तदेशिक (13-14)
शिष्टाचारप्रमाण्यम् भाष्यम् (रहस्यत्रयमीमांसा की व्याख्या), अथर्वशिक्षाविलास, अथर्वशिक्षाउपनिषद् व्याख्या, गायत्र्यर्थशतदूषणी भरन्यासक्रम।
षष्ठपरांकुश(16) (अहेबिलमठ) श्रीकृष्णताताचार्य (19) श्रीनिवास (16) श्रीनिवास (पात्राचार्यपुत्र) श्रीनिवासताताचार्यशिष्य श्रीनिवासदास
: ब्रह्मपदशक्तिवाद,
श्रीवैष्णलक्षणम् : न्यासविद्याविजयम् : रामानुजसिद्धान्तसंग्रह
: लघुभावप्रकाशिका
(श्रीभाष्य की व्याख्या) शरणावरणत्त्व, सिद्धोपाय
478 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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