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ध्वजप्रतिष्ठा - श्लोक- 17301
नयदर्शनचम्पू
नलहरिश्चन्द्रीयम् -
नलभूमिपालरूपकम् नववर्षमहोत्सव - श्लोक
नाटकपरिभाषा
निर्मलदर्पण - प्रक्रियाकौमुदी की टीका । निसर्गमधुरम् - काव्य ।
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नीलकण्ठस्तोत्रमन्त्र- श्लोक - 6551
नृसिंहरत्नमाला श्लोक- 21151
नृसिंहवृत्तम् - विविध छंदों में नृसिंह की स्तुति इस छंदः शास्त्रीय ग्रंथ का विषय है।
नौका मन्त्रमहोदधि की टीका ।
पंचेन्द्रोपाख्यानचम्पू -
परमार्थ संगीति एक बौद्धस्तोत्र । इसमें धार्मिक प्रार्थनाओं की संक्षिप्त रचना तथा देवीदेवों के अभिधान तथा संस्तुतिपूर्ण विशेषणों की गणना है।
परिशेषखण्ड- चतुर्वर्गचिन्तामणि का एक अंश ।
पर्वनिर्णय- धर्मसिन्धु का एक अंश ।
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पल्लव राजनीति पर ग्रंथ राजनीतिरलाकर चण्डेश्वरकृत) में उल्लिखित । 1300 ई. के पूर्व रचित ।
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पलाण्डुराजशतकम् - हास्यरसपूर्ण रचना । पलाण्डुशतकम् - हास्यरसपूर्ण रचना । पाकचंद्रिका हिंदी-मराठी अनुवाद सहित प्रकाशित। विषय
पाकशास्त्र ।
पाणिनीय लघुवृत्तिविवृत्ति पाणिनीय लघुवृत्ति की श्लोकबद्ध टीका। राजकीय पुस्तकालय त्रिवेन्द्रम में विद्यमान । पाणिनीयसूत्रविवरण - राजकीय पुस्तकालय मद्रास की बृहत् सूची में उल्लिखित । पाणिनीयसूत्रवृत्ति सूची में उल्लिखित |
राजकीय पुस्तकालय मद्रास की बृहत्
पाणिनीय सूत्रव्याख्यान उदाहरणश्लोक सहित राजकीय पुस्तकालय मद्रास की बृहत् सूची में उल्लिखित ।
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पाणिनीयाष्टक वृत्ति सरस्वती भवन काशी में विद्यमान पाणिनीयसूत्रोदाहरणम्- भागवत कथा पर आधारित काव्य । पाणिनीय उदाहरण श्लोकों में गुम्फित । प्रक्रियारत्नम् वि.सं. 1300 से पूर्व रचित सायण की । धातुवृत्ति में तथा दैवम् की पुरुषकार व्याख्या (कृष्णलीलाशुककृत) में बहुधा उद्धृत है। बुधिष्ठिर मीमांसक को संदेह है कि कृष्णलीला शुक ही इसके लेखक हो। यह प्रक्रिया ग्रंथ है।
प्रज्ञालहरीस्तोत्रम् - श्लोक- 220 । विषय- देवी की स्तुति ।
प्रणयचिन्ता विषय- कामशास्त्र ।
प्रतारकस्य सौभाग्यम् एच्. ए. मनोर के व्याख्यान पर आधारित एवं विदेशी शैली में विरचित रूपक । "मंजूषा” 1955 में प्रकाशित कथासार मित्र द्वारा ठगे जाने पर उदास बने राजेन्द्र से एक व्यक्ति कहता है, कि वह किसी धर्मशाला में ठहरा है, साबुन खरीदने बाहर निकलने पर धर्मशाला का मार्ग भूल जाने से वह चिन्तित है, क्योकिं उसकी धनराशि वहीं पढ़ी है। राजेन्द्र उसे रुपये देकर धर्मशाला की दिशा बताता है। बाद में विदित होता है कि वह भी एक धूर्त था जिसने राजेंद्र को मूर्ख बनाया है। प्रदीप व्याख्या व्याकरण शास्त्र में अनुपदकार ( महाभाष्य के अनन्तर रचित ग्रंथों के लेखक तथा पदशेषकार ( महाभाष्य की त्रुटि को पूर्ण करने वाले अनन्तर रचित ग्रंथों के रचचिता का प्रयोग मिलता है परन्तु इन लेखकों के नाम तथा ग्रंथ अप्राप्य हैं। प्रमाणमंजरी विषय- शिल्पशास्त्र । गुजरात में प्रकाशित । प्रयागकृत्यम् - विषय- धर्मशास्त्र । त्रिस्थली सेतु का एक अंश । प्रस्तारविचार
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प्रासाददीपिका जटमल्लविलास द्वारा वर्णित 1500 ई. के पूर्व रचित । विषय- वास्तुशास्त्र ।
प्रासादमंडनम् - काश्मीर सीरीज आफ टेक्सट्स अॅण्ड स्टडीज
द्वारा प्रकाशित । विषय- वास्तुशास्त्र ।
प्रासादपरापद्धति श्लोक- 20001
प्रासादमण्डलम् - विषय - शिल्पशास्त्र गुजरात में प्रकाशित। भागवत के आख्यान पर आधारित ।
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बकवधचम्पू बन्धोदय सुरतक्रीडा के विभिन्न आसनों के चित्र सालपत्र पर आलिखित तथा उनका वर्णन श्लोकों में।
बादरायणस्मृति - प्रायश्चित्तमयूख एवं नीतिवाक्यामृत की टीका में उल्लिखित ।
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बार्हस्पत्यसूत्रम् अपरनाम नीतिसर्वस्व पंजाब संस्कृत सीरीज में प्रकाशित ।
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बिरुदावलि जहांगीर बादशाह का चरित्र वर्णन इस काव्य का विषय है।
बृहशिल्पशास्त्रम् - विषय शिल्पशास्त्र गुजरात में प्रकाशित । भक्तिमार्गसंग्रह वल्लभ संप्रदाय के लिए। भागवतप्रमाणभास्कर - 1943 में मुंबई से सप्रकाशतत्त्वार्थ-निबंध के द्वितीय प्रकरण के परिशिष्ट के रूप में प्रकाशित। भारतेतिहास ई. सन. 49 तक कलकत्ता के संस्कृत साहित्य पत्रिका में क्रमशः प्रकाशित। विषय- भारत का संपूर्ण इतिहास । भिल्लकन्या-परिणय चंपू इस के प्रणेता कोई नृसिंह- भक्त ( अज्ञातनामा ) कवि हैं। यह चंपू अपूर्ण है। इसमें नृसिंह
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संस्कृत वाङ्मय कोश ग्रंथ खण्ड / 433
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