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सेवन्तिका-परिणयम् (नाटक) -ले.- चोक्कनाथ। ई. 17 वीं शती। बसव भूपाल को उपायन रूप में समर्पित शृंगारप्रधान नाटक। केलदि के राजा बसव भूपाल और सेवन्तिका के प्रणय की कथा। सोमनाथीयम् - सोमनाथ भट्ट। पिता- सुरभट्ट। सोमराजस्तव - ले.- जयन्तकृष्ण हरिकृष्ण दवे। संस्कृत विश्वपरिषद् के कार्यवाह । सोमनाथ प्रतिष्ठापन प्रसंग पर रचित 40 श्लोकों का शिवस्तोत्र । भारतीय विद्याभवन द्वारा आङ्ग्लानुवाद सहित मुद्रित । सौंदरनंदम् (महाकाव्य)- ले.-अश्वघोष। इसमें बुद्ध के बंधु नंद के बौद्धधर्म मे दीक्षित होने की कथा वर्णित है। सौन्दर्यलहरी (या आनन्दलहरी) - सटीक । श्रीशंकराचार्यकृत शक्ति की स्तुती। श्लोक- 101 या 103 । टीका सौभाग्यवर्धिनी कैवल्याश्रम यति कृत। सौन्दर्यलहरी की व्याख्याएं - (क) सुधाविद्योतिनी, अरिजित् विरचित। श्लोक 11501 सुधाद्योतिनीकार ने सौन्दर्यलहरी का कर्ता प्रवरसेन को माना है। अन्य लोगों ने सौन्दर्यलहरी का कर्ता शंकराचार्य को ही माना है। ख) लक्ष्मीधराभिधा) लक्ष्मीधर विरचित) श्लोक- 32751 सौपद्यरामायणम्- परंपरानुसार अत्रि ऋषि ने रैवत मन्वंतर के 16 वें त्रेतायुग में इसकी रचना की। इसमें कुल 62 हजार श्लोक हैं जो सप्तसोपानबद्ध हैं। इनमें जन-वाटिकावर्णन, नगरदर्शन, मैथिली स्त्रियों के प्रेम, बालकप्रेम, सीताविवाह, उसकी बिदाई, रावण द्वारा अपहत किये जाने पर सीता-विलाप, रामविलाप, शबरीचरित्र, सुग्रीव से मित्रता' आदि विषयों का विवेचन है। सौभद्रम् - मूल किर्लोस्कर कृत "संगीत-सौभद्र' नामक मराठी नाटक। अनुवादक श्री.भि.वेलणकर। मुंबई में इसके अनेक लोकप्रिय प्रयोग हुए। सौभाग्यकल्पद्रुम - ले.- अच्युत । (2) ले.- माधवानन्द नाथ। श्लोक-40001 विषय- दैनिक पूजाविधि का सविस्तर वर्णन । सौभाग्यकल्पद्रुम-टीकासौरभम्- ले.- क्षेमानन्द । श्लोक-21501 सौभाग्यकल्पलता- ले.- क्षेमानन्द। श्लोक- 12001 सौभाग्यकल्पलतिका- ले.- क्षेमानन्दनाथ। श्लोक-15001 पटल (स्तबक) 8 में पूर्ण। विषय- प्रातःस्मरण, स्नान, कालिक संध्या, जप, भूतशुद्धि, आदि पांच सामान्य मन्त्रों के न्यास, पाठ, मंत्रजप, देवतापूजन, स्तोत्र, कवच, प्रायश्चित्त देवतात्मैक्यानुसन्धान इ.। सौभाग्यगद्यवल्लरी-ले.- निजात्मप्रकाशानन्द (मल्लिकार्जुन योगीन्द्र)। श्लोक- लगभग- 290।
सौभाग्यतन्त्रम्- श्लोक- 300 । पटल-11 | विषय- जपसमय, मंत्र के पारायण का लक्षण, षोडशांग विधान में उक्त बीजतत्त्व कथन आदि। पारायण के भेद, विद्यामन्त्रों के पारायण काल निर्देश, नामपारायण, तन्त्रपारायण, हंसपारायण चक्रपारायण, रमापारायण और आम्नाय पारायण के लक्षण।
सौभाग्यतरंगिणी- ले.- मुकुन्द । चार लहरियों में पूर्ण । विषयत्रिपुरसुन्दरीपूजा का प्रतिपादन। सौभाग्यभास्कर- ले.- भास्करराय । ई. 18 वीं शती । तन्त्रविषयक ग्रंथ। यह ललितासहस्रनाम का भाष्य है। सौभाग्यमहोदयनाटकम् - ले.- जगन्नाथ। ई. 17 वीं शती। काठियावाड के आशुकवि। भावनगरनरेश बखतसिंह का सभासदवर्ग इस नाटक में चित्रित किया है। सौभाग्यरत्नाकर- ले.- विद्यानन्दनाथ। गुरु-सच्चिदानन्दनाथ । तरंग 36 में पूर्ण। विषय- त्रिपुरा जापद्धति । सौभाग्यरहस्यम्- ले.- विद्यानन्दनाथ। गुरु- सच्चिदानन्द । ज्ञानार्णव से संकलित। सौभाग्यवर्द्धिनी- ले.- कैवल्याश्रम। गुरु-गोविन्दाश्रम । आनन्दलहरी की व्याख्या। सौभाग्यसुधोदयम्- ले.- विद्यानन्दनाथ। गुरु-सचिदानन्दनाथ। श्लोक-600 (2) ले.- अमृतानन्द योगिप्रवर। गुरु-पुण्यानन्दनाथ । श्लोक-175 | विषय- सौभाग्यलहरी (देवीस्तुति) की यह व्याख्या
सौभाग्यसुभगोदयम्- ले.- अमृतानन्दनाथ । सौम्यसोमम् (नाटक)- ले.- श्रीनिवास शास्त्री। ई. 19 वीं शती। प्रथम अभिनय कुम्भकोणम् में शिव-दोलामहोत्सव के
अवसर पर। कथावस्तु-दैत्यों के अत्याचारों का दमन करने के लिए षडानन का जन्म और उसके द्वारा उनका विनाश करके
इन्द्र का पूर्वैश्वर्य पाना। अंकसंख्या-पांच। लम्बे संवाद, अतिदीर्घ वर्णन तथा लम्बी एकोक्तियां इसमें हैं। सौरकल्पविधि- श्लोक- 5001 सौरपौराणिकतासमर्थनम्- ले.- नीलकंठ चतुर्धर। पितागोविंद। माता-फुल्लाबिका। ई. 17 वीं शती। सौरसंहिता- शिव-कार्तिकेय संवादरूप। मौलिक तन्त्र ग्रंथ । पटल- 10 में पूर्ण। श्लोक-5501 विषय- यह तन्त्र, अन्य ग्रंथों के समान शिव या शक्ति का प्रतिपादन न कर सूर्य का प्रतिपादक है। सौरार्यब्रह्मपक्षीय-तिथिगणितम् । ले.- व्यंकटेश बापूजी केतकर। सौर्यरामायणम्- रूढ परंपरानुसार इसकी रचना वैवस्वत मन्वन्तुर के 20 वें त्रेतायुग में की गई। इसमें कुल 62 हजार श्लोक हैं। इसमें हनुमान्-सूर्य संवाद, हनुमान् का जन्म, शुकचरित्र, शुक रजक होने के कारण, अंजनी-हनुमान्-संवाद, सीतामिलन,
418 / संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड
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