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में पूर्ण। शातातपस्मृति - (गद्यपद्य-मिश्रित। 47 अध्यायों एवं 2376 श्लोकों में पूर्ण। विषय- शुद्धि एवं आचार। आनंदाश्रम, पुणे द्वारा प्रकाशित। शान्तिकमलाकर (या शान्तिरत्न) - ले.- कमलाकर भट्ट।। विषय- अपशकुनों की शान्ति । मुंबई में मुद्रित। शान्तिकल्पदीपिका - विषय- गृह्याग्नि में मेंढक पडना पल्लीपतन, मूल या आश्लेषा नक्षत्र में पुत्रोत्पत्ति आदि पर शान्ति के कृत्य। शान्तिकविधि - ले.-वसिष्ठ । 213 श्लोकों में पूर्ण। विषयविपरीत नक्षत्रों के कारण पीडित होना तथा अयतहोम, लक्षहोम, कोटिहोम, नवग्रहहोम आदि का विवेचन। माध्यन्दिनीय शाखा से मन्त्र लिये गये हैं। रचना सन 1871-72 में। शान्तिकौमुदी - ले.-कमलाकरभट्ट । रामकृष्ण के पुत्र। शान्तिगणपति - ले.गणपति रावल । रचना लगभग 1685 ई. में। शान्तिचंद्रिका - ले.-कवीन्द्र। प्रस्तुत लेखक की काव्यचंद्रिका में वर्णित। शान्तिचिन्तामणि - ले.- कुलमुनि। लेखक के नीतिप्रकाश में वर्णित । शान्तिचिन्तामणि - ले.-शिवराम। पिता- विश्राम । शान्तितत्त्वामृतम् (या शान्तिकतत्त्वामृतम्) - ले.-नारायण चक्रवर्ती। शान्ति की परिभाषा यों है- "यथा शस्त्रोपघातानां कवचं विनिवारणम्। तथा दैवोपघातानां शान्तिर्भवति वारणम् 11 एतेन अदृष्टद्वारा ऐहिकमात्रानिष्टनिवारणं शान्तिः ।" अर्थात् जिस प्रकार शस्त्राघात निवारण कवच द्वारा होता है, उसी प्रकार । दैवी आघातों का निवारण शान्ति विधि द्वारा होता है। अदृष्ट उपायों से ऐहिक अनिष्टों के निवारण को ही शान्ति समझना चाहिए। इसमें अद्भुतसागर का उल्लेख है।
मुद्रित। (2) ले.- शिवराम। विश्राम के पत्र । विषय- सामवेद के अनुसार नवग्रहों की शान्ति के कृत्य । लेखक ने छन्दोगानीयाह्निक भी लिखा है। रचना - इ. 1749-50 ई. में। शान्तिपारिजात - ले.-अनन्तभट्ट । शान्तिपौष्टिकम् - ले.- वर्धमान । शान्तिप्रकार - ले. - गोभिल । कर्मप्रदीप के प्रथम 7 अध्याय । शान्तिकल्पप्रदीप (या कृत्यापल्लवदीपिका) ले.-कृष्णवागीश। विषय- विरोधियों को मोहित करने, वश में करने या मारने के मंत्र। शान्तिभाष्यम्- नीलकण्ठ द्वारा। मुम्बई में जे. आर. घारपुरे द्वारा प्रकाशित । शान्तिरत्नम् (या शान्तिरत्नाकर) - ले.-कमलाकरभट्ट । शान्तिरसम् - ले.-वैकुण्ठपुरी । शान्तिविलासम् (खण्डकाव्य) - ले.- नीलकण्ठ दीक्षित । ई. 17 वीं शती। शान्तिविवेक - ले.- विश्वनाथ। विषय- ग्रहों की शान्ति के कृत्य। यह मदनरत्न का एक अंश है। शान्तिसार - ले.- दलपतिराज । नृसिंहप्रसाद नामक ग्रंथ का अंश। शान्तिसार- ले.-दिनकरभट्ट। पिता- रामकृष्ण। ई. 17 वीं शती। विषय- अयुतहोम, कोटिहोम, लक्षहोम, ग्रहशान्ति, वैनायिकी शान्ति इ.। मुंबई में मुद्रित । शान्तिस्तव- ले.-अप्पय्य दीक्षित। शान्तिहोम- ले.-माधव। शान्त्यष्टकम् - ले.-देवनन्दी पूज्यपाद। जैनाचार्य। ई. 5-6 शती। माता- श्रीदेवी। पिता- माधवभट्ट । शाबरचिन्तामणि - ले.-आदिनाथ। माता- पार्वती। विषयषट्कर्म, देवताओं (रति, वाणी, रमा, ज्येष्ठा, दुर्गा और काली) के ध्यानों और मंत्रों का प्रतिपादन । तदनन्तर शान्ति वशीकरण आदि षट्कर्म कहे गये हैं। शाबरतन्त्रम् - ले.-गोरखनाथ। श्लोक- 5801 3 प्रकरणों में पूर्ण। आदिनाथ, अनादि, काल, अतिकाल, कराल, विकराल, महाकाल, कालभैरवनाथ, बटुकनाथ, भूतनाथ, वीरनाथ और श्रीकण्ठ ये बारह कापालिक हैं। इनके शिष्य भी बारह हैं। - नागार्जुन, जडभरत, हरिश्चन्द्र, सत्यनाथ, मीननाथ, गोरक्षनाथ, चर्पटनाथ, अवघटनाथ, वैरागी, कन्थाधारी, धन्वन्तरि और मलयार्जुन। ये सब शाबर मन्त्रों के प्रवर्तक हैं। इस ग्रंथ के मुख्य दो विषय हैं- शाबर-सिद्धि विधि और सब विपत्तियों को दूर करने वाले सिद्ध, मंत्र आदि । योगिनीमंत्र, क्षेत्रपालमंत्र, गणेशमंत्र, कालीमंत्र, बगलामंत्र, भैरवीमंत्र, त्रिपुरसुन्दरीमंत्र, हेलकीमंत्र, मातंगीमन्त्र, डाकिनी, शाकिनी, भूत सर्प आदि के भय निवारक मंत्र, उच्चाटन, वशीकरण आदि के मन्त्र ।
शान्तिनाथचरित- ले.-सकलकीर्ति। जैनाचार्य। ई.14 वीं श.। पिता- कर्णसिंह । माता- शोभा। 16 अधिकार व 3475 पद्म। (2) शान्तिनाथचरित - ले.- मेघविजयगगणी। इसमें तथा देवनन्दाभ्युदयम् में शिशुपालवधम् और नैषध काव्य की पंक्तियों का समस्या के समान प्रयोग किया गया है। यह काव्य समस्यापूर्तिस्वरूप है। शान्तिनाथपुराणम् - तीर्थंकर शान्तिनाथ के चरित्र का वर्णन करने वाला एक जैन पुराण। 4375 श्लोक के इस ग्रंथ की रचना 17 वीं सदी में गुजरात में हुई। भट्टारक श्रीभूषण ने भी एक शांतिनाथ पुराण लिखा है । वह भी इसी काल का है। शान्तिनाथस्तवनम् - ले.-श्रुतसागरसूरि। जैनाचार्य। ई. 16 वीं शती। शान्तिपद्धति - ले.-भर्तृहरि । यह शतक काव्य है। मुंबई में
संस्कृत वाङ्मय कोश - ग्रंथ खण्ड 363
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